NEWSPR DESK- PATNA- बिहार में चिराग पासवान ने जून के तीसरे हफ्ते में ही पार्टी के भीतर अपनी राजनीतिक स्थिति खो दी है आपको बता दें कि इसका सबसे बड़ा कारण चाचा पशुपति पारस ने स्वर्गीय रामविलास पासवान द्वारा स्थापित पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर तख्तापलट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
वही आपको बता दें कि एलजेपी में राजनीतिक अशांति के बीच चिराग पासवान ने आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी तोड़ने का काम जदयू कर रही है और ऐसा क्यों कर रही है यह समझ में नहीं आ रहा है आरजेडी ने भी जदयू पर इसी तरह के आरोप लगाए थे आरजेडी के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने कहा चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के बीच विभाजन के पीछे नीतीश कुमार का हाथ है.
आपको बता दें कि इसका जवाब देते हुए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने कहा कि चिराग पासवान वहीं काट रहे हैं जो उन्होंने बोया है आरसीपी सिंह ने कहा कि चिराग पासवान ने हाल के दिनों में बहुत सारी गलतियां की है बिहार के लोग और उनकी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान जो कुछ भी खोया है उन्होंने किया उससे खुश नहीं थे अब पार्टी में दरार इसका परिणाम है.
आपको बता दें कि एलजेपी के कारण जदयू का बड़ा नुकसान 2020 के विधानसभा चुनाव में हुआ था जिस समय एलजेपी ने अकेले लड़ने का निर्णय लिया था और जदयू को डैमेज करने का कोशिश किया था जिससे जदयू को नुकसान तो हुआ ही वही सीएम नीतीश कुमार भी समय का इंतजार कर रहे थे और समय रहते हैं राजनीतिक पार्टी में हलचल मचा दीए.
पशुपति कुमार पारस ने विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान की नकारात्मक राजनीति की ओर इशारा करते हुए कहा, “2020 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान हम संसदीय चुनाव की तरह एनडीए के तहत चुनाव लड़ना चाहते थे. चिराग ने इसका विरोध किया और विधानसभा चुनाव में अकेले जाने का फैसला किया और सिर्फ एक ही सीट जीत सके. पार्टी का राजनीतिक रूप से सफाया हो गया है. पार्टी कार्यकर्ता और नेता उनके फैसले से नाराज हैं.