जर्मनी से 12 सदस्य दल अपने पूर्वजों व परिजनों के निमित्त पूरे विधि विधान से पिंडदान व तर्पण के लिए पहुंचे गया।

Patna Desk

गया मोछ भूमि गया जी में सनातन धर्म और धर्मालंबियों द्वारा अपने पूर्वजों के आत्मा के शांति व मोछ प्राप्ति के लिए पिंडदान व तर्पण करने का विधान सभी वेदों में वर्णित है अपने पूर्वजों के प्रति ऐसी श्रद्धा और आस्था और कहीं नहीं देखी जा रही हैं यही वजह है कि पिंडदान व तर्पण की कर्मकांड की महत्ता पश्चात देशों में भी देखी जा रही है इसी कड़ी में गेया जी में सनातन धर्मालंबियों के आशा का केंद्र बिंदु विष्णुपद मंदिर स्थित देवघाट में फल्गु नदी के किनारे जर्मनी से 12 सदस्य दल अपने पूर्वजों व परिजनों के निमित्त पूरे विधि विधान से पिंडदान व तर्पण की कर्मकांड कर रहे हैं।

जर्मनी देश के क्रिस्टिनी यूलिया अनाकोचेटकोवा औलिया वह अन्य कर्मकांड कर रही है विदेशोँ में सनातन धर्म का प्रचार कर रहे हैं आचार्य पंडित लोकनाथ गौड़ सभी का कर्मकांड संपन्न कर रहे हैं वो बताते हैं कि पश्चात देशो यूरोप ,रसिया, यूक्रेन,क्यू में सनातन धर्म के प्रति लोगों की आस्था तेजी से बढ़ रही है दल के लोग अपने पुत्र पति व पिता के निमित्त पिंडदान कर रहे हैं वह बताते हैं कि सनातन धर्म के प्रति खासकर महिलाओं में पश्चात देश में काफी आस्था देखी जा रही है सभी सदस्य पहली बार भारत आई हैं महिला धर्मगुरु जो रसिया की रहने वाली है नताशा शप्रोनोवा भारत आकर सनातन धर्म पर रिसर्च की थी और आकर्षित होकर वे इन देशों में सनातन धर्म की महता को बता रही है उन्होंने बताया धर्मगुरु नताशा के पलल पर रसिया से और भी लोग पिंडदान के लिए आ रहे हैं ।

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