राष्ट्रीय जनता दल के प्रांतीय सचिव महात्मा ज्योतिबा फुले क्रांतिकारी संघ के राष्ट्रीय संयोजक विनय कुशवाहा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी आरक्षण विरोधी हैं। सदन से लेकर सड़क पूर्व मुख्यमंत्री जीतन मांझी जातिय जनगणना एवं आरक्षण का विरोध कर रहे हैं।
दलितों पिछड़ों को आगे बढ़ने नहीं देना चाहते हैं जीतन मांझी। जितन राम मांझी नहीं चाहते हैं कि बिहार के दलित शैक्षणिक एवं सामाजिक आर्थिक रूप से आगे बढ़े वह सिर्फ अपने परिवार का विकास के लिए राजनीतिक करते हैं उन्हें दलित पिछड़ों से कोई लेना-देना नहीं।
विनय कुशवाहा ने कहा कि जिस तरह से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने पिछड़े दलित अत्यंत पिछड़े जातियों के आरक्षण के सीमा को 15% बढ़ाया। बिहार में आरक्षण 65 प्रतिशत हो गया इससे जीतन मांझी को परेशानी हो रही है और बार-बार आरक्षण एवं जातिय जनगणना का विरोध कर रहे हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन्हें बिहार का मुख्यमंत्री बनाया था लेकिन जीतराम मांझी मौका परस्त निकले।
मांझी जी सिर्फ अपने बेटा समधन एवं परिवार के लोगों तक सिमट कर रह गए। बेटा को मंत्री बनाने के लिए और परिवार के लोगों को राजनीति में स्थापित करने के लिए जितनराम मांझी सिर्फ राजनीति करते हैं।
जीतन राम मांझी नहीं चाहते हैं कि दलित पिछड़ा समुदाय के कोई भी व्यक्ति राजनीति एवं नौकरी में आगे बढ़े इसीलिए लगातार जातीय जनगणना और आरक्षण का विरोध कर रहे हैं।
भाजपा के साथ गठबंधन करके जीतन राम मांझी आरक्षण का लगातार विरोध कर रहे हैं।
जिस तरह से नीतीश कुमार एवं तेजस्वी यादव की सरकार लाखों लाख की संख्या में नौकरियां बांट रही है और 85 प्रतिशत दलित पिछले अति पिछड़े के लिए आरक्षण के सीमा को 15% बढ़कर 65 प्रतिशत किया एवं ऊंची जातियां को 10% आरक्षण आरक्षण की सीमा को 75% किया देश के लिए ऐतिहासिक कदम है इससे गरीब कमजोर वर्गों का आर्थिक सामाजिक शैक्षणिक विकास होगा।
श्री कुशवाहा ने केंद्र सरकार से बिहार के तर्ज पर देश के आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 75 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की और नहीं तो 2024 में इस देश की जनता बीजेपी को धूल चटा देगी।