NEWSPR डेस्क। मुंगेर जिला मुख्यालय से लगभग 40-50 किलोमीटर दूर स्थित टेटिया बंबर प्रखंड प्रखण्ड के बबनगामा पंचायत के धपरि गांव में मनरेगा के तहत किसानों के खेतों में सिंचाई के लिए 71 लाख रुपये की लागत से नहर निर्माण कराया गया था। जो निर्माण के दो माह के अंदर ही धारा साही हो गया जिससे नहर निर्माण कि गुणवत्ता पर सवाल खड़ा हो गया है।
वैसे तो सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने और गांवों से मजदूरों का पलायन को रोकने के महात्मा गांधी रोजगार योजना कि शरुआत की थी। पर अब ये योजना भ्रष्टाचार और लूट खसोट की योजना बन कर रह गई है। जिसका नित जगत परिणाम है धपरि गांव के सिंचाई नहर निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किए जाने के कारण नहर दो माह भी टिक नहीं पाया और ध्वस्त हो गया।
इस योजना में पंचायत रोजगार सेवक से लेकर विभागीय पदाधिकारियों की मिलीभगत से राशि का बंदरबांट किया गया है। जिसका प्रमाण ये है कि नहर टूटने के बाद भी 44लाख 85 हजार 480 रुपये का भुगतान कर दिया गया और इतना कुछ होने के बाद भी मनरेगा को प्रोग्राम पदाधिकारी के द्वारा 2 लाख रुपया मेटेरियल के नाम पर पेमेंट वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया।
इस बात का प्रमाण अप्रत्यक्ष रूप से योजना के PRS कमलेश पाठक के द्वारा दिये गए बयान में भी मिलता है। योजना के PRS कमलेश पाठक कैमरा के सामने कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे। इसलिए हमें विवश हो कर उनका बयान छुपे हुए कैमरे से रिकॉर्ड करना पड़ा। लूट खसोट और भ्रष्टाचार को लेकर मनरेगा योजना हमेशा सुर्खियों में रहा है। बावजूद इसके दोषियों पर कार्रवाई नहीं होने के कारण इससे जुड़े पंचायत रोजगार सेवक से लेकर प्रोग्राम पदाधिकारी तक का मनोबल बढ़ा हुआ है।
मुंगेर से मो. इम्तियाज की रिपोर्ट