नहाय खाय के साथ लोक आस्था का महान छठ महापर्व आज से शुरू।

Patna Desk

 

नहाए खाए के साथ छठ महापर्व का शुभारंभ आज से शुरू हो गया। पूरे जिले में छठ को लेकर जिला प्रशासन एवं छठ व्रतियों द्वारा सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं तथा लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। पूजा को लेकर छठ घाट सहित बाजार भी पूरी तरह सज धज कर तैयार है। जिले के विभिन्न जगहों पर स्थित छठ घाटों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है तथा बिजली, चेंजिंग रूम एवं अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई है। भगवान भाष्कर व छठी मईया की पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं में एक अलग ही भक्ति देखने को मिलती है। सूर्य उपासना के इस पर्व की सबसे खास बात यह है कि इसमें व्रतियों द्वारा साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।व्रती घर की अच्छे से साफ सफाई करने के पश्चात मिट्टी के बने चूल्हे में आम की लकड़ियों को जलाकर प्रसाद बनाते हैं तथा नए एवं साफ-सुथरे बर्तनों का प्रयोग करते हैं। वही छठ घाट तक जाने वाले सभी मार्गों का भी विशेष रूप से साफ सफाई किया जाता है। छठ पर्व में सूर्य के उगते हुए एवं ढलते हुए दोनों रूपों की पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। प्रात:काल सूर्य की पहली किरण और सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य देकर दोनों का नमन किया जाता है। सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा जाता है। संतान सुख एवं सुख-स्मृद्धि के मनोकामनाओं की पूर्ति का यह त्यौहार सभी वर्ग के लोग अपनी क्षमता अनुसार समान रूप से मनाते हैं। मान्यताओं के अनुसार छठ देवी को भगवान भास्कर की बहन माना जाता है। जिन्हें प्रसन्न करने एवं मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सूर्य की आराधना की जाती है। चार दिनों तक चलने वाले इस कठिन पर्व का आरंभ कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होता है तथा समापन कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होती है। इस दौरान व्रती अन्न व जल का त्याग रखते हैं। छठ महापर्व की महत्ता को देखते हुए बिहार एवं उत्तर प्रदेश के साथ ही देश के अन्य राज्यों में भी श्रद्धा के साथ मनाया जाने लगा है। पूजा के लिए लोग बाजारों में जमकर खरीदारी करते है। खासकर तौर पर फल, गन्ना, डाली, सूप आदि की खरीदारी की जाती है। नहाए-खाए के साथ दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को व्रतियों द्वारा खरना किया जाता है तथा पंचमी को दिनभर खरना का व्रत रखने वाले व्रती शाम के समय गुड़ से बने खीर, रोटी एवं फलों का सेवन प्रसाद रूप में करते हैं। जिसके बाद षष्ठी के दिन घर के समीप नदी, तालाब, पोखर आदि के किनारे पर एकत्रित होकर अस्ताचलगामी एवं दूसरे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त किया जाता है। तकरीबन 36 घंटे के इस निर्जला व्रत में व्रत समाप्त होने के बाद ही व्रती अन्न एवं जल ग्रहण करते है।छठ पर्व से सूर्य व ब्रह्मा दोनों की उपासना का फल एक साथ प्राप्त होता है। देश के विभिन्न जगहों पर रहने वाले लोग छठ के दौरान खासतौर से अपने गांव एवं घर लौटते हैं तथा धूमधाम से छठ पर्व को मनाते हैं। छठ पर्व की महत्ता इसी बात से समझी जा सकती है कि असमर्थ परिवार के लोग भी भीख मांग कर छठ का व्रत करते हैं। वहीं कई सामाजिक संगठनों एवं आम लोगों द्वारा भी छठ व्रत करने वाले लोगों में फलों एवं अन्य पूजा सामग्रियों का दिल खोलकर वितरण किया जाता है। गौरतलब हो कि व्रतियों की सुरक्षा एवं सुविधाओं के मद्देनजर छठ पूजा कमिटियां भी जी जान से जुटी हुई हैं। साफ सफाई से लेकर छठ घाटों पर सुरक्षा को लेकर बांस बल्ले से बैरिकेडिंग की गई है तथा अभी से हीं घाटों पर छठ गीत बजने लगे हैं।

इसके अलावा जिला प्रशासन भी चार दिवसीय छठ महापर्व को शांति और सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न कराने को लेकर संकल्पित है। नगर आयुक्त यतेंद्र कुमार पाल सहित जिले के अन्य वरीय अधिकारी लगातार छठ घाटों का निरीक्षण कर रहे हैं तथा जिले के विभिन्न छठ घाटों पर किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए गोताखोर सहित दंडाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारियों की भी तैनाती की जाएगी।

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