नाथनगर की बालूशाही के मुरीद हुए देश ही नहीं विदेशों के भी लोग।

Patna Desk

 

भागलपुर,वैसे तो भागलपुर शहर स्थित नाथनगर सिल्क के नाम से विख्यात है लेकिन नाथनगर की बालूशाही एक अपनी अलग पहचान बना रही है ,नाथनगर की बालूशाही देशों ही नहीं विदेशों में भी लोग इसका स्वाद चख रहे हैं, नाथनगर की बालूशाही 70 वर्षों से एक जैसी स्वाद के लिए काफी विख्यात है, नाथनगर के बालूशाही को शुद्ध घी में पौराणिक परंपरा से अभी भी बनाई जा रही है इसमें किसी भी तरह के मशीन का व्यवहार नहीं किया जा रहा, इसे हाथ से बनाया जाता है साथ ही इसमें शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है गौरतलब हो कि नाथनगर के मधुसूदन लाल जैन ने इस व्यवसाय को प्रारंभ किया था उसके बाद उनके पुत्र अशोक जैन और उसके बाद अजीत जैन ने इसे आगे बढ़ाया आज तीन पीढ़ी के बाद अजय कुमार जैन भी इसी व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और 70 वर्षों पहले जो स्वाद लोगों ने चखा है वही स्वाद और वही बनाने के तरीके को बरकरार रखते हुए पौराणिक पारंपरिक मिठाई बालूशाही आज भी अजय कुमार जैन बना रहे हैं और इस बालूशाही से पूरे नाथनगर को जाना जाने लगा है। इसकी कीमत मात्र ₹320 किलो है जो शुद्ध घी में तैयार किया जाता है ।

बालूशाही एक प्रकार का पारंपरिक पकवान है जो मैदा तथा चीनी से बनाया जाता है बालूशाही मैदा आटे से बनती है और गहरी घी में तली जाती है उसके बाद उसे चीनी की चासनी में डुबाया जाता है, वैसे तो मुख्य रूप से बालूशाही उत्तर प्रदेश की प्रसिद्ध मिठाई है लेकिन नाथनगर के बालूशाही के स्वाद की बात ही कुछ निराली है, बालूशाही चमकता हुआ डोनट के समान दिखता है लेकिन इसकी परत बनावट और क्रंची स्वाद के साथ भिन्न है, बालूशाही को कही बादुशा रेसिपी तो कहीं बादुशा मिठाई तो कहीं टिकरी भी कहा जाता है।

दुकानदार ने कहा पौराणिक परंपरा और शुद्धता का रखता हूं ख्याल

बालूशाही की दुकान चला रहे अजय कुमार जैन ने बताया कि हमलोग अभी भी 70 वर्षों पुराने स्वाद को बरकरार रखे हैं इसका मुख्य पैमाना पौराणिक परंपरा है, आज भी हमलोग किसी भी मशीन का उपयोग नहीं करते हैं इसे हाथ से बनाते हैं और शुद्धता का इसमें विशेष ख्याल रखा जाता है और इसे शुद्ध घी में ही बनाया जाता है इसलिए हमारा बनाया हुआ बालूशाही अपने देश ही नहीं विदेशों में भी भेजा जाता है और लोग इसे काफी पसंद करते हैं ।

नाथनगर की बालूशाही जैसा स्वाद कहीं और नहीं…

पारंपरिक भारतीय मिठाई बालूशाही को पसंद करने वाले रतन कुमार और शैलेश राजहंस ने बताया कि हमलोग जब से जन्म लिए हैं तब से अभी तक नाथनगर की बालूशाही खा रहे हैं यहां के जैसा किसी भी बालूशाही में स्वाद हमें नहीं मिलता है, यहां काफी पौराणिक परंपरा से इसे तैयार किया जाता है इसलिए इसे अपने देश ही नहीं विदेशों में भी काफी पसंद किया जा रहा है हम लोग भी संदेश के तौर पर नाथनगर की शुद्ध घी में बनी बालूशाही लोगों को भेंट करते हैं।

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