पंचदेव धाम में देशी गाय के गोबर निर्मित राखियां बाजार में मचायेगी धूम।

Patna Desk

 

 

औरंगाबाद के कुटुंबा प्रखंड के चपरा गांव स्थित पंचदेव मंदिर में देशी गाय के गोबर बनी इको फ्रेंडली राखियां अब जिले में ही नहीं देश के विभिन्न हिस्सों में बहनों के द्वारा भाइयों की कलाई में बांधी जाएंगी। इतना ही नहीं यहां की राखियां फौजी भाइयों की भी कलाई की शोभा बढ़ाएगी।झारखंड के जमशेदपुर से औरंगाबाद के पंचदेव धाम आकर सीमा पांडेय यहां की युवतियों एवं महिलाओं को न सिर्फ गोबर से राखियां बनाना सीखा रही है।बल्कि वे गोबर से दीपक,खिलौने,देवी देवताओं की मूर्तियां,अगरबत्ती,धूप बत्ती,डाइबिटिज एवं बीपी मैट,मोबाइल रेडिएशन प्रोटेक्शन सहित कई प्रकार की सामग्रियां बनाकर आत्मनिर्भर हो रही है।मंदिर कमिटी के द्वारा सभी महिलाओं को उनके काम के आधार पर दैनिक भुगतान किया जाता है।सीमा पांडेय ने बताया कि आधुनिकता के होड़ में हम चाईनीज एवं फैंसी राखियों को उपयोग में ला रहे हैं मगर गाय के गोबर से बनी राखियां न सिर्फ इको फ्रैंडली है बल्कि इसे गमले में डालकर खाद के रूप में भी उपयोग में लाया जा सकता है।इन राखियों में किसी ने किसी पौधे के बीज भी समाहित रहते हैं जो एक पौधा के रूप में पर्यावरण संरक्षण में अपनी अहम भूमिका निभाते है।उन्होंने बताया कि गोबर के कंडे से अग्नि होत्र बनाया जाता है जिसका राख कई प्रकार की बीमारियों को दूर करने में सहायक होता है। कोरोना काल में उस भस्म से कई मरीज बिना ऑक्सीजन सिलेंडर के स्वस्थ्य हुए।उन्होंने बताया ये सारी प्रेणाएं एवं इसको करने की इच्छाशक्ति आयुर्वेदाचार्य राजीव दीक्षित से प्राप्त हुआ हुए हैं।

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