पटना डेस्क
पटनाः आयुर्वेदिक उत्पाद बनानेवाली कंपनी पतंजलि द्वारा बनाई गई सात दिन में कोरोना को खत्म करनेवाली दवा ‘कोरोनिल’ के प्रचार पर रोक लग गई है। केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने कंपनी पर दवा बनाने के लिए लाइसेंस नहीं लेने को लेकर नोटिस जारी किया है। मंत्रालय का कहना है कि कोरोना खत्म करने का दावा बिना किसी प्रमाणिकता के की जा रही है प्रदेश के आयुष विभाग का कहना है कि पतंजलि को इम्युनिटी बूस्टर बनाने का लाइसेंस दिया गया था। कोरोना की दवा कैसे बना ली और दवा की किट का विज्ञापन क्यों किया गया इसका पता लगाया जाएगा। इस पर आयुष ड्रग्स लाइसेंस अथॉरिटी की ओर से पतंजलि को नोटिस जारी किया जाएगा।
आयुर्वेद ड्रग्स लाइसेंस अथॉरिटी के प्रभारी डॉ.वाईएस रावत का कहना है कि पतंजलि को इम्युनिटी बूस्टर और बुखार, खांसी की दवा बनाने का लाइसेंस दिया गया था। कोरोना दवा बनाने का कोई लाइसेंस नहीं दिया गया है।
पतंजलि इस दवा कोई विज्ञापन नहीं कर सकती है। वहीं, केंद्रीय आयुष मंत्रालय की ओर से दवा के प्रचार प्रसार पर रोक लगाने के संबंध में आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि हमारी दवा और दावा दोनों पूरी तरह सही हैं। केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने इनसे जुड़ी कुछ जानकारियां मांगी थीं, जो उपलब्ध करा दी गई हैं।
अस्पतालों का ब्योरा मांगा, जहां की गई टेस्टिंग
मंत्रालय ने कहा कि इस दावे के तथ्य और बताया जा रहे वैज्ञानिक अध्ययन के ब्योरे के बारे में उसे जानकारी नहीं है। पतंजलि को नमूने के आकार, स्थान एवं उन अस्पतालों का ब्योरा देने को कहा गया है, जहां अनुसंधान अध्ययन किया गया। साथ ही,संस्थागत नैतिकता समिति की मंजूरी भी दिखाने को कहा गया है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘संबद्ध आयुर्वेदिक औषधि विनिर्माता कंपनी को सूचित किया गया है कि आयुर्वेदिक औषधि सहित दवाइयों का इस तरह का विज्ञापन औषधि एवं चमत्कारिक उपाय अधिनियम,1954 तथा उसके तहत आने वाले नियमों और कोविड-19 के प्रसार के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा जारी निर्देशों से विनियमित होता है।