NEWSPR डेस्क। पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश कैमूर पहुंचे। जहां उन्होंने माता मुंडेश्वरी के दरबार में माथा टेका। माता मुंडेश्वरी के दरबार में पूजा अर्चना करने के बाद भभुआ न्यायालय परिसर में पहुंचते ही उन्होंने कहा कि यह मील का पत्थर स्थापित करने के लिए न्याय निर्णयन प्रक्रिया में शामिल सभी लोगों खासकर अधिवक्ताओं को उनके सम्मिलित प्रयत्नों के लिए धन्यवाद दिया।
मुख्य न्यायाधीश कैमूर जिले के मोहनिया में नवस्थापित अनुमण्डलीय न्यायालय एवं भभुआ में न्यायिक पदाधिकारियों के लिए नवनिर्मित 24 आवासों का शनिवार को उद्घाटन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि न्याय का अर्थ मात्र मुकदमों का निर्णय करना नहीं है, बल्कि किसी की आंख के आंसू पोंछना है। व्यक्ति को न्याय के प्रति आश्वस्त करना है। यह संभव करते हीं भारत एकबार फिर सोने की चिड़िया बनेगा।
उन्होंने जजों का आह्वान करते हुए कहा कि हमें प्रतिपल अपने को स्मरण कराना है कि हम सेवक के रुप में यहां बैठे हैं और हमारा काम सारे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बाधाओं को दरकिनार कर सेवा करना है। उन्होंने कहा कि हमारे उपर समाज की आंखें लगी हैं। हम समाज के प्रति जिम्मेदार हैं। हमारा प्रत्येक कार्य, वचन एवं व्यवहार लोगों में न्याय प्रक्रिया के प्रति विश्वास दृढ़ करनेवाला होना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अधिवक्ता गण न्याय प्रणाली के प्रहरी हैं। उन्हें सामने आकर समस्याओं को मुंसिफ से लेकर मुख्य न्यायाधीश स्तर तक मजबूती से उठाना है। समाधान के लिए मुकम्मल व्यवस्था बना दी गई है। उन्होंने कहा कि अत्यंत हर्ष की बात है कि न्यायपालिका में महिला न्यायाधीशों की संख्या 25 से 35 प्रतिशत हो गयी है। अच्छी संख्या में महिलाएं अधिवक्ता बन रहीं हैं। महिला अधिवक्ताओं से अनुरोध है कि न्यायपालिका को कैरियर के रूप में चुनें।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कोरोना काल में हम सभी ने अपने को डिजिटली शिक्षित किया और महामारी के बावजूद डिजिटल माध्यम अपनाकर न्याय प्रक्रिया को जारी रखा। अपनी जान पर खेलकर न्याय प्रक्रिया जारी रखने में अमूल्य योगदान के लिए उन्होंने अधिवक्ता लिपिकों एवं न्यायालय कर्मियों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। कैमूर जजशिप में 50 हजार से अधिक मुकदमों के लंबित होने पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने जिला जज से डेली मानिटरिंग कर उनके शीघ्र निस्तारण की अपील की।
कैमूर/भभुआ से ब्रजेश दुबे की रिपोर्ट