NEWSPR डेस्क। पितृपक्ष में गया के प्रेतशिला वेदी पर पिंडदान की जाती है। यहां प्रेत के नाम से पिंडदान करने की सदियों से परंपरा चली आ रही है, अकाल मृत्यु होने पर आत्मा भटकती है। उन्हीं आत्मा की शांति के लिए प्रेतशिला वेदी पर पिंडदान तर्पण की जाती है। पर्वत को प्रेतशिला के अलावा प्रेत पर्वत, प्रेतकला एवं प्रेतगिरि भी कहा जाता है। प्रेतशिला पहाड़ी की चोटी पर एक चट्टान हैं।
जिस पर ब्रह्मा,विष्णु और महेश की मूर्ति बनी है। श्रद्धालुओं द्वारा पहाड़ी की चोटी पर स्थित इस चट्टान की परिक्रमा कर के उस पर सत्तु से बना पिंड उड़ाया जाता है। प्रेतशिला पर सत्तू से पिंडदान की पुरानी परंपरा है। गया शहर से 10 किलोमीटर की दूरी स्थित प्रेतशिला लगभग 1000 फीट ऊंचाई पर स्थित पर्वत पर 676 सीढ़ियां चढ़कर ऊपर जाई जाती है, जो लोग चलने में असमर्थ है। उनके लिए डोली की सुविधा निजी खर्च कर उपर पर्वत पर जाया जाता है। अकाल मृत्यु होने पर मोक्ष दिलाने के लिए प्रेतशिला में पिंडदान करते हैं।
प्रेतशिला में गयासुर राक्षस का मुंह है यंहा पिंडदान करने से भटकती आत्मा को शांति मिलता है। 2 वर्षे कोविड-19 की वजह से पितृपक्ष मेला आयोजन नहीं हो रहा था। देश दुनिया के श्रद्धालु 2022 पितृपक्ष मेला महासंगम का इंतजार कर रहे थे। श्रद्धालुओं की चहल-पहल के साथ पितृपक्ष मेला में काफी भीड़ है।पितृपक्ष का तीसरे दिन का प्रेतशिला में विशेष महत्व है इसी को लेकर के श्रद्धालुओं हजारों की संख्या में पिंडदान तर्पण करने पहुंच रहे हैं।
प्रेतशिला पहुंचने के पूर्व डेढ़ किलोमीटर पहले से ही श्रद्धालुओं की चहल-पहल देखने के साथ पूरी तरह से आवागमन ट्रैफिक व्यवस्था चींटी की चाल में रंग रही है जिधर देखेंगे सिर्फ श्रद्धालुओं ही नजर आ रहे हैं। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के लाने ले जाने वाले वाहन कोरमा महाविद्यालय में वाहन पड़ाव की गई है। कोरमा महाविद्यालय की जगह कम पड़ रही है पास के सरकारी विद्यालय में व यात्री को जहां पर जगह दिख रही है वाहन पड़ाव कर रहे हैं। पुलिस बल की पुख्ता इंतजाम किया गया है।
सुचारू ट्रैफिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए काफी सराहनीय पहल है, पुलिस प्रशासन की तत्परता देख रही है। श्रद्धालुओं की काफी गया प्रशासन की व्यवस्था देखकर काफी प्रभावित होकर बताया बहुत अच्छा व्यवस्था है। प्रेतशिला परिसर में जिधर देखे उधर मंत्रोच्चारण की गूंज सुनाई दे रही है। श्रद्धालुओं के पिंडदान तर्पण करने के लिए भीड़ की वजह से जगह कम पड़ जा रही है। देश विदेश के कोने से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पिंडदान तर्पण करने के लिए प्रेतशिला पहुंच रहे हैं सुबह से ही प्रेतशिला में भीड़ देखी जा रही है।
इस संबंध में गया गजाधर धाम पांडा समिति सदस्य शिवा कुमार पांडे प्रेतशिला वेदी की महत्व को बताते हुए बताया कि इस स्थान पर पिंड देने से पितरों के मोक्ष की गति प्राप्त होती है इस स्थान पर दो वेदी है एक ब्रह्मकुंड और एक प्रेतशिला. यह जो तालाब था इसका उल्लेख वायु पुराण में किया गया है यह घी का तालाब था. ब्रह्मा भगवान इस तालाब के पास यज्ञ किए थे तब से इस तालाब का ब्रह्म तलाब नाम पड़ा है।
प्रेतशिला जहां पर ब्रह्मा भगवान का चरण के साथ तीन सोने की लकीर है वही तीन प्रेत राज है, तीनो प्रेत राज का नाम राजस्य,तामस व सार्थ है। यहां पर पिंड देने से पितरों कि मोक्ष की गति प्राप्त होती है। विशेषकर यहां पिंड देने का का महत्व है। अकाल मृत्यु वाले लोग आते हैं जो लोग जहर खाकर,फांसी लगाकर, कुआं में गिर के दुर्घटना से उनकी आयु भ्रमण करती है इस स्थान पर पिंड देने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गया से मनोज की रिपोर्ट