आपने गौर किया होगा कि बरसात के वक्त और उसके ठीक बाद के त्योहारी सीजन में प्रकृति प्रदत्त धूमना का इस्तेमाल बढ़ जाता है। खासकर भारतीय परंपरा में ऐसा देखा जा रहा है।
अगर विषहरी पूजा, मनसा पूजा, दुर्गा पूजा और काली पूजा के दौरान गौर करेंगे तो धूमना डांस के साथ वंदन और नमन आपको दिख जाएगा।
जानकार बताते हैं कि बरसात के दौरान कई तरह के वायरस और कीटाणु वातावरण में पनपते हैं। जो आम इंसान के सेहत के लिए घातक होता है। पर्यावरण स्वच्छ रहे, समाज और सामाजिक स्वस्थ रहे, उसके हिसाब से प्रकृति ने पुरातन काल से ही सनातन परंपरा के माध्यम से इशारा किया है। जो आज भी आम भारतीय निभा रहे हैं। कहीं धूमना का इस्तेमाल होता है तो कहीं लुभान का इस्तेमाल होता है। मकसद प्राणवायु में स्वच्छता लाना है।