संतोष गुप्ता
लखीसरायः लखीसराय स्टेशन एंव किऊल स्टेशन को जोड़ने के लिए यह पुल की स्वीकृति मिली थी जिससे सूर्यगढ़ा चानन लखीसराय क्षेत्र की जनता के लिए एक बड़ा उपहार मिला था पर प्रशासनिक सुस्ती के कारण पुल पर काम शुरु नहीं हुआ। नतीजा यह है कि दोनों स्टेशनों के बीच आठ किलोमीटर की दूरी यह है कि लोग जान जोखिम में डालकर यहां बने नए रेलवे पुल से आना जाना कर रहे हैं।
दो साल से है इंतजार
लखीसराय शहर के बीचों बीच किउल नदी किनारे पथला घाट एवं गायत्री मंदिर के बीच दूरी कम करने के लिए किऊल नदी पर सडक़ मार्ग सह पुल को मंजूरी मिली थी। यहां रेल पुल का निर्माण तो पूरा हुआ, लेकिन सड़क पुल का काम अब तक शुरु नहीं हुआ।
लोगों के लिए दो तरफा मुश्किलें
बताया गया कि किऊल और लखीसराय स्टेशन के बीच आने जाने के लिए लोगों को आठ किलोमीटर लंबा रास्ता तय करना पड़ता है। जबकि प्रस्तावित पुल से यह दूरी घटकर मात्र आधा किमी रह जाएगी, लोगों को उम्मीद थी रेल के साथ सड़क पुल का निर्माण पूरा हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कोई दूसरा विकल्प नहीं होने कारण लोग जान जोखिम में डालकर रेलवे पुल से आना जाना कर रहे हैं।
लोगों की मुश्किलें यहां भी खत्म नहीं होती है, दोनों स्टेशनों के बीच किऊल नदी पर बने पुराने पुल पर चढ़ने के लिए सीढ़ियां बनी हुई थी, लेकिन नए रेलवे पुल से सीढ़ियां हटा दी गई हैं। सीढ़ी ना होने के कारण मिट्टी वाले रास्ते से लोग रेलवे पुल पर चढ़ते हैं। विशेषकर गर्भवती महिलाओं के लिए यहां चढ़ाई करना मुश्किल है। बारिश के कारण होनेवाली फिसलन के कारण कई लोग घायल हो गए हैं।
आंदोलन के बाद ही जागती है सरकार
हाल के दिनों में लखीसराय पचना रोड होते हुए शेखपुरा को जाने वाली सड़क निर्माण के लिए आंदोलन हुआ था। जिसे मुंगेर सांसद ललन सिंह के द्वारा सड़क पर कार्य एवं रोड बनाने की सहमति भी प्राप्त हुई। क्या किऊल एवं लखीसराय के बीच भी किऊल नदी पर पुल आंदोलन की राह देख रहा है