फ्रेंडशिप डे: बिहार के इन दो दोस्ती की दास्तां जानकर रह जाएंगे हैरान, दोनों हैं दिव्यांग, शोले के जय वीरू की दोस्ती के नाम से हैं फेमस

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। वैसे तो दोस्ती को परिभाषित करने का कोई खास दिन नहीं होता है और एक सच्चा दोस्त हर रिश्ते से बेहतर होता है लेकिन इन सबके बावजूद अगस्त माह के प्रथम रविवार को फ्रेंडशिप-डे के तौर पर मनाया जाने का क्रेज़ पूरी तरह शबाब पर है। आजकल हर छोटे-बड़े शहरों में “फ्रेंडशिप-डे” मनाने का यह ट्रेंड प्रचलित है। इन सबके बीच आज हम कटिहार से दो दोस्तों की दोस्ती के ऐसी दास्तां से आपको रूबरू करवाते हैं। जिसे देखकर आप भी कहेंगे सच में दोस्ती हो तो ऐसा हो, वरना न हो…।

कटिहार के सड़कों पर एक दूसरे के लिए दोस्ती के तराना गाते जमाल और लोको सहायक थाना क्षेत्र के मिर्चाईबारी के रहने वाले दोनों युवक दिव्यांग हैं। बचपन से ही लोको पैर से दिव्यांग है। जबकि जमाल बचपन से ही आंखों से दिव्यांग है। इन दोनों की दोस्ती कई साल पहले सामाजिक कार्यकर्ता शिव शंकर रमानी के संस्था बृद्धा- विकलांग समिति के माध्यम से हुआ था। तब से अब तक लोको-जमाल की आंखों की रोशनी बनकर सहारा बना हुआ है।

जबकि जमाल लोको की कदम बन कर उनके हर कदम में साथ निभा रहा है। फ्रेंडशिप-डे के मौके पर यह दोनों दोस्त एक दूसरे को फ्रेंडशिप बैंड बांधकर मिठाई खिलाकर अपनी दोस्ती को मिसाल बताते हुए दोस्ती के तराना गा रहे हैं। फिल्म दोस्ती के तराने गाते इन दोस्तों की दोस्ती सच में फिल्मी जरूर लगती है लेकिन इस दोस्ती को वर्षों से जानने वाले लोग कहते हैं कि इस शहर के लिए इन दोनों की पहचान ‘जय-वीरू’ के रूप में है।

हर दिन यह एक दूसरे के दैनिक काम में भी मदद करते हुए दिख जाते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अमित वर्मा कहते हैं कि सच में अगर किसी को ऐसा दोस्ती का तौफा मिले तो जिंदगी बेहद आसान हो जाता है। वहीं जमाल और लोको अपने दोस्तों को अनमोल बताते हुए कहते हैं कि वह भले ही अलग-अलग शरीर है लेकिन अब इनदोनों की दोस्ती इतनी गहरी हो चुकी है कि लोको जमाल की आंख बनकर उसे दिशा दिखाता है। जबकि जमाल लोको का पैर बन कर उसके हमराही बने हुए हैं। सच में फ्रेंडशिप-डे के मौके पर इस खास दोस्ती को सलाम।

कटिहार से रतन कुमार की रिपोर्ट

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