बच्चे देश का भविष्य हैं, उनकी मासूमियत न छीनें बल्कि उन्हें शिक्षा प्रदान कर उनका भविष्य गढ़ें।

Patna Desk

 

बच्चे देश का भविष्य हैं, उनकी मासूमियत न छीनें बल्कि उन्हें शिक्षा प्रदान कर उनका भविष्य गढ़ें उक्त बातें कैमूर जिले के भभुआ शहर के रहनेवाले समाजसेवी शिवम कुमार ने कही। समाजसेवी ने बताया कि विश्व बाल निषेध दिवस मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य बाल मजदूरी के प्रति विरोध एवं जगरूकता फैलाना है। बच्चे देश का भविष्य हैं, उनकी मासूमियत न छीनें। बल्कि उन्हें शिक्षा प्रदान कर उनका भविष्य गढ़ें और देश के सर्वांगीण विकास व उज्ज्वल भविष्य के लिए योगदान दें। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा वर्ष 2002 में बाल श्रम के विरोध में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से इसे मनाने की शुरूआत की गयी। इसमें कोई शक नहीं कि बाल-श्रम की समस्या किसी भी देश व समाज के लिए घातक है। बाल-श्रम पर पूर्णतया रोक लगनी चाहिए। बाल-श्रम की समस्या जड़ से समाप्त होना अति आवश्यक हैं। बच्चे देश का भविष्य होते हैं एवं उनकी सही जगह स्कूल एवं खेल का मैदान है। बालश्रम दंडनीय अपराध है।

समाजसेवी ने बताया कि देश के भविष्य भारत के बच्चों को अच्छी शिक्षा, संतुलित आहार और बेहतर विचार प्रदान कर देश के विकास की गति को बढ़ाया जा सकता है। बालश्रम देश के विकास के लिए बाधक है। आइए मिलकर देश से बालश्रम को मिटाते हैं और बच्चों के जीवन को एक नया आयाम देते हैं।

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