नालन्दाः जिले में बंदोबस्ती के नाम पर घोटाले और मनमानी करने का मामला लगातार जारी है। अभी नूरसराय प्रखण्ड में तालाब बंदोबस्ती में गड़बड़ी का बात सामने आई थी। अब इस्लामपुर प्रखण्ड में भी बंदोबस्ती के नाम पर गड़बड़ी और राजश्व की हानि का मामला प्रकाश में आया है। बताया जा रहा है कि यहां के नगर पंचायत के कर्मचारियों के द्वारा व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए इस्लामपुर प्रखण्ड के बस स्टैंड और बाजार का ठेका दे दिया। अब इस ठेके की जांच की मांग की जा रही है।
नियम की हुई अनदेखी
बताया गया कि सरकारी नियमानुसार बस स्टैंड, बाजार तालाब और पशु हाट बाजार का बंदोबस्ती एक साथ होना चाहिए। लेकिन, नगर पंचायत के कर्मचारियों के द्वारा व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए इस्लामपुर प्रखण्ड के बस स्टैंड और बाजार का ठेका दे दिया। यही सवाल कर्मचारियों के क्रियाकलाप पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है। इन्ही सभी गड़बड़ियों को लेकर नगर विकास मंत्रालय से जांच के लिए आवेदन भी दिया गया है जिसमे बंदोबस्ती के नाम पर घोटाले करने की बात कही गयी है।
लॉकडाउन के दौरान होता रहा टालमटोल
बताया गया कि इस्लामपुर प्रखण्ड में भी बंदोबस्ती को लेकर तीन तारीखो का एलान किया गया। परंतु लॉक डाउन के कारण बंदोबस्ती में संवेदक भाग नही ले सके। जिसका लाभ उठाकर नगर पंचायत के कर्मियों ने गुपचुप तरीके से वयक्ति विशेष को ठेका दे दिया।
पहले भी लगते रहे हैं आरोप
स्थानीय लोगो की मानें तो इस्लामपुर में बंदोबस्ती के नाम पर करोड़ो रुपये का घोटाला हो रहा है तालाब में उड़ाई के नाम पर बंदोबस्ती नही की जाती है। लेकिन जब कर्मचारियों से सवाल पूछा जाता है तो आनन फानन में तालाब और पशु हॉट का बंदोबस्ती निकालने की बात कही जाती है। बावजूद यहां का प्रशासन मौन है। अगर जिले की बात छोड़कर सिर्फ इस्लामपुर में सही तरीके से जांच करायी जाय तो बंदोबस्ती के नाम पर हो रहे सरकारी खजाने में हो रहे हानि की भी बात लोगो के सामने आ जायेगा।
घोटाले का बात से इनकार, कहा बरती गई पारदर्शिता
वही नगर पंचायत के अधिकारियों का कहना है कि इस्लामपुर में जो भी बंदोबस्ती की गई उसमे पूरी तरह से पारदर्शिता बरती जा रही है। संवेदकों का जो आरोप लगाया गया है वह बिल्कुल गलत है क्योंकि इसके पूर्व जब दो तारीख का एलान किया गया उस वक़्त कोई भी संवेदक इस बंदोबस्ती में नही पहुँचा। जब 18 और 19 तारीख को बंदोबस्ती की फिर से हुई जिसमें कुछ तकनीकी कारणों के कारण बंदोबस्ती नही हुई लेकिन उसके अगले ही दिन 20 जुलाई को स्थायी समिति के सदस्यों और अन्य नगर पंचायतों की सहमति से 45 लाख में बस स्टैंड और बाजार बंदोबस्ती की गई।
72 की जगह 45 लाख मे ही दिया ठेका
हर साल इस्लामपुर प्रखण्ड में पूरी सैरात की बंदोबस्ती 72 लाख से ऊपर में होता था तो इसबार बंदोबस्ती 45 लाख में ही क्यों दिया गया। जबकि कोरोना काल के 81 दिन को काटकर अगर बंदोबस्ती की एकमुश्त रकम 62 लाख होता है तो फिर 45 लाख में क्यों किसी व्यक्ति विशेष को यह बंदोबस्ती दिया गया। आखिर इंसमे हर हाल में सरकार को ही राजश्व की हानि पहुचाई गयी है। फिलहाल इस मामले नगर विकाश विभाग व मंत्रालय ने भी सात दिनों में जांच रिपोर्ट देने की बात कही है।