बहरीन-सिंगापुर जैसे 29 देशों से भी बड़ा हिमखंड, आखिर चर्चा में क्यों?

Patna Desk

 

NEWSPR DESK- patna– ‘ए23ए’ (A23a) के नाम से जाना जाने वाला,जो वर्ष 1986 में ये अंटार्कटिका के तट से टूट कर अलग हो गया था। अपने इलाके से दूरी बढ़ानी शुरू कर दी है।

 

30 से अधिक बरसों से ये वेडेल सी में एक स्थिर हिम द्वीप के रूप में अटका हुआ रहा। इस हिम खंड के 350 मीटर लंबे निचले सिरे ने एक ज़माने तक अपनी जगह पर लंगर डाले रखा। गुजरते वक़्त के साथ-साथ ये पिघल भी रहा था और साल 2020 आते-आते हिम खंड के तैरने का रास्ता खुल गया और ये एक बार फिर से गतिशील हो गया।

 

हवाओं और पानी के बहाव के सामने शुरू में इसकी रफ़्तार धीमी थी। फिर इसने उत्तर की ओर गर्म हवा और पानी की लहरों की तरफ़ कूच करना शुरू किया।

 

फिलहाल ये हिमखंड विषुवत रेखा के उत्तर में 60 डिग्री समांतर दूरी पर तैर रहा है। ये इलाका साउथ ऑर्क्ने आईलैंड के क़रीब और अंटार्कटिका प्रायद्वीप के उत्तर पूर्वी सिरे से 700 किलोमीटर की दूरी पर है।

 

अंटार्कटिका के जिस हिस्से से A23a आया है वहां अब भी काफ़ी ठंड है। इसका उदगम फ़्लिंटर आइस शेल्फ़ में हुआ है। ये एक भीमकाय आइस शेल्फ़ है जो वेडेल सी में तैर रही है। बर्फ की शेल्फों के अगले हिस्से का छिटक कर हिमखंड में तब्दील होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। वैज्ञानिक इसे काल्विंग कहते हैं।

 

ये ठीक वैसे ही होता है जैसे कि गाय किसी बछड़े को जन्म दे रही हो। एक शेल्फ संतुलन तभी संतुलित होगा जब इससे छिटकने वाली चट्टानें उतनी ही हों जितनी की बर्फबारी हो रही हो। गर्म पानी की लहरों से शेल्फ़ के अगले हिस्से का संतुलन बिगड़ सकता है लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं है कि फ़्लिंचर के साथ भी ऐसा ही हो रहा हो।

Share This Article