मोतिहारीः केसरिया स्थित विश्व के सबसे ऊंचे बौद्ध स्तूप के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। बताया जा रहा है बौद्ध स्तूप पिछले एक महीने से बारिश के पानी से घिरा हुआ है। इसी बीच संग्रामपुर के भवानीपुर में चंपारण तटबंध टूट गया जिसके कारण बौद्ध स्तूप परिसर में गंडक नदी का भी पानी पहुंच गया। जगह-जगह पुरातात्विक विभाग की ओर से खुदाई किये जाने के कारण परिसर के अन्दर कहीं-कहीं पांच से सात फीट तक पानी है। यह भी खबर सामने आई है कि बौद्ध स्तूप की चहारदीवारी का पूर्व-दक्षिण कोने का एक हिस्सा बाढ़ एवं बारिश के पानी के दबाव से ध्वस्त हो गया है। हालांकि बौद्ध स्तूप को इस चहारदीवारी के ध्वस्त होने से कोई नुकसान नहीं हुआ है।
टीले जैसा नजारा
फिलहाल बौद्ध स्तूप परिसर के चारों तरफ पानी जमा है। जिसे एक बार देखने पर ऐसा लगता है कि जैसे बीच समुद्र में कोई टीला खडा हो. बौद्ध स्तूप परिसर में ढाई फीट से पांच फीट तक पानी है।
बुद्ध ने किया था रात में विश्राम
बता दें कि यह बौद्ध स्तूप दुनिया का सबसे ऊंचा बौद्ध स्तूप माना जाता है। इसकी उंचाई 104 फीट है. यहां देश और विदेश से बौद्ध धर्मावलम्बी पर्यटक आते हैं। इतिहासकारों के अनुसार, महात्मा बुद्ध वैशाली में भिक्षापात्र देने के बाद कुशीनगर जाने के दौरान एक रात यहां रात्रि विश्राम किया था। जिस कारण ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व से बौद्ध स्तूप का विशेष महत्व है. लेकिन गंडक नदी के कारण बौद्ध स्तूप अभी बाढ के चपेट में है।