रितेश रंजन
कटिहारः जिले के बरारी प्रखण्ड के कान्तनगर पंचायत में ग्रामीणों के द्वारा नाव बनाने का कार्य तेजी से किया जा रहा है, ग्रामीण सुबोध सिंह (नाव मालिक) ने कहा कि सरकारी नाव के सहारे इस पंचायत के लोग नहीं रहते हैं क्योंकि बरारी अंचल के द्वारा समय पर संख्या में नाव उपलब्ध नहीं कराया जाता है। जिस कारण गांव के लोग मेरी निजी नाव का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं नाव बनाने में करीब डेढ़ लाख रुपये खर्च आता हैं, कम किराया में ग्रामीणों व पशुपालकों को दियारा घास व अन्य जगह आने जाने के लिए नाव उपलब्ध कराया जाता है।
नाव करती है इनके लिए गाड़ी का काम
गौरतलब हैं कि जुलाई माह शुरू होते ही कुछ ग्रामीण नाव बनाने के काम में जुट जाते हैं, कहीं सामुहिक नाव बनाकर बाढ़ के दौरान गांव के लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। कई घरों में निजी स्तर पर भी नाव बनाए जा रहे हैं। बताते चलें कि प्रखंड के अधिकांश पंचायतों के गांव बाढ़ के पानी से घिर जाते हैं, कई स्थानों पर करीब चार माह तक पानी जमा रहता है। लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक आने-जाने में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है।
कोई दूसरा विकल्प नहीं है ग्रामीणों के पास
दूसरी तरफ मवेशी का चारा लाना हो या मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। प्रखंड में बाढ़ के दिनों में आवागमन बहाल रखने को लेकर अधिकांश ग्रामीण नौका की व्यवस्था रखते हैं। बता दें कि जुलाई माह से प्रखंड में गंगा एवं बरण्डी नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी शुरू हो जाती है एवं बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में संभावित बाढ़ के दौरान होने वाली परेशानी से निपटने को लेकर लोग तैयारी में जुट गए हैं छोटी नावों से आवागमन में कई बार दुर्घटना भी हो चुकी है।