बिहार के इस छोटे बच्चे की तीरंदाजी देख रह जाइएगा हैरान, पैरों से धनुष का कमान..आंख बंद करके लगाया सटीक निशाना

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। आपने टीवी पर या सोशल मीडिया वीडियोज में कई एक्सपर्ट तीरंदाजी देखे होंगे जो अपने हुनर से सभी को चौंका देते हैं। कई अंतरराष्ट्रीय खेलों में भी आपको ऐसे तीरंदाज नजर आ जाते हैं। मगर एक छोटे बच्चे ने अपनी कला से सभी को चौंका दिया है। वो इसलिए क्योंकि बच्चे ने बिना अपने हाथों का इस्तेमाल किए तीर चलाई है। आप सोचेंगे कि ये कैसे मुमकिन है, मगर ये बिल्कुल सच है।

महज नौ साल का गया के रूद्र की प्रतिभा अचंभित करने वाली है। रूद्र सामान्य और सीधे तीरंदाजी तो करता ही है, अचंभित करने वाली बात है कि हाथ के बल उल्टा होकर और और इसी हालत में ही आंखें बंद कर भी पैरों के अंगूठे से तीर चलाता है। योग में 150 से भी अधिक योगासन और प्राणायाम कर हैरत करने वाले इस नन्हे बच्चे में इस तरह एक और अनोखी प्रतिभा निखर रही है। रूद्र अभी से ही तीरंदाजी में माहिर होता जा रहा है। यह हाथों से ही नहीं, बल्कि पैरों और बंद आंखों से भी तीर से सटीक निशाना साध लेता है. देश में ऐसा कम ही देखने को मिलता है। 9 साल का नन्हा बालक रूद्र ने योग और स्केटिंग में अपनी प्रतिभा पहले ही बिखेरी है. उसने इस क्षेत्र में कई स्टेट और नेशनल लेवल के मेडल हासिल कर लिए हैं। अब वह काफी हैरतअंगेज करने वाला कारनामा कर रहा है।

रुद्र हाथ के बल उल्टा खड़ा होकर उसी पोजीशन में पैर के अंगूठे से आंख बंद कर भी तीर चला लेता है। तीर धनुष का उसका निशाना देखते ही बनता है। 5 से 20 फीट की दूरी तक वह सिधा निशाना मारता है। आई लेवल और फूट लेवल डिफरेंस है, फिर भी सटीक निशाना लगाना उसकी प्रतिभा को सामने दिखाता है। रूद्र बताता है कि एक विदेशी एथलीट महिला का वीडियो देखने के बाद उसे आर्चरी की प्रेरणा मिली। उसने इसमें भी विभिन्न प्रकार से प्रैक्टिस शुरू कर दी और सामान्य-सीधे तौर पर तीरंदाजी तो करता ही है। साथ ही हाथ के बल उल्टा खड़ा होकर और उल्टे हालत में ही बंद आंखों से भी तीर चलाता है।

रुद्र योगा को अपने आधार बनाया और महज एक महीने में ही तीरंदाजी को कमांड करने लगा। इस क्रम में 20 फीट तक का निशाना साधता है। विदेश की छोटी लड़की का वीडियो उसने देखा था। इसके बाद उसने हाथ के बल उल्टा खड़ा होकर और आंख बंद कर तीर चलाना शुरु कर दिया। सबसे बड़ी बात यह है कि आंख बंद करके बहुत सटीक निशाना लगा रहा है। 100% आत्मविश्वास और अनुभव से ऐसा निशान लगाता है कि वह सटीक ही लगती है।

रुद्र के पिता राकेश कुमार सिंह बताते हैं कि वह जहानाबाद के खरका गांव के रहने वाले हैं। गया में वह बच्चे को पढ़ाने को लेकर बोधगया के राजापुर में रहते हैं। बताते हैं कि रूद्र प्रताप सिंह को योग से काफी लगाव था तो उनकी देखरेख में ही योग की प्रैक्टिस उसने शुरू किया और आज करीब डेढ़ सौ से अधिक योगासनों में उसकी महारत है।

इसके अलावा स्केटिंग में भी वह माहिर है और अब आर्चरी में भी अपनी प्रतिभा दिखा रहा है। वह बताते हैं कि फिलहाल में टॉय आर्चरी से ही उसकी प्रैक्टिस चल रही है। कंपाउंड आर्चरी खरीदने के लिए पैसे नहीं है। इसमें करीब ढाई लाख रुपए खर्च होते हैं। सरकार मदद कराए तो निश्चित तौर पर देश के लिए रुद्र ओलंपिक में गोल्ड मेडल तीरंदाजी में ला सकता है।

पिता राकेश कुमार सिंह बताते हैं कि संभवत रुद्र भारत का पहला बच्चा है। जो 9 साल की उम्र में 5 से 20 फीट का टारगेट करता है और चैलेंज करता है कि कोई उसे नहीं हरा सकता है। तीरंदाजी में वह निश्चित तौर पर मेडल लाएगा। ओलंपिक में भविष्य दिख रहा है। वह चौथी कक्षा में का छात्र है। अभी तक स्टेट- नेशनल का 20 से अधिक सर्टिफिकेट और मेडल जीत चुका है, जो कि उसे योगा में मिला है।

गया से मनोज की रिपोर्ट

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