बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह के नाम पर स्थापित श्रीकृष्ण सेवा सदन पुस्तकालय मुंगेर ही नहीं बल्कि बिहार की धरोहर है। 

Patna Desk

 

अभी यहां 50 हजार से अधिक पुस्तकें एवं लगभग 200 हस्तलिखित दुर्लभ पांडुलिपियां मौजूद हैं। बिहार के पहले मुख्यमंत्री डा. श्रीकृष्ण सिंह ने अपने अभिनंदन में स्थापित इस पुस्तकालय को 18 हजार 111 पुस्तकें, 105 अलमारियां दी थीं। इसका उद्घाटन प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 31 अक्टूबर 1953 को किया था। आज छात्र यहा आ प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करते है ।

मुंगेर जिला अंतर्गत किला के पास कोतवाली थाना के बगल में बना जिले के केंद्रीय पुस्तकालय एवं राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बिहार केशरी डा. श्रीकृष्ण सिंह की आत्मा का केंद्र रहे श्रीकृष्ण सेवा सदन पुस्तकालयका गौरवशाली अतीत रहा है। बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह के नाम पर स्थापित इस पुस्तकालय का शिलान्यास 21 अक्टूबर 1947 को तत्कालीन राज्यपाल जयराम दास दौलतराम ने किया था और प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 31 अक्टूबर 1953 को श्रीकृष्ण सेवा सदन पुस्तकालय का उद्घाटन किया था। इसके बाद 14 नवम्बर 1966 को बिहार सरकार द्वारा इसे अनुबंधित किया गया। बिहार के पहले मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह ने इस पुस्तकालय को 18 हजार 111 पुस्तकें एवं 150 अलमीरा दी थी। अभी यहां 50 हजार से अधिक पुस्तके एवं 200 हस्तलिखित दुर्लभ पांडुलिपियां मौजूद है। यहां श्री बाबू के आज भी कई समान को धरोहर के रूप में संभाल के रखा गया है। जिसमे उनके वस्त्र से लेकर पुस्तके तक शामिल है ।मुंगेर का एक मात्र अति सुसज्जित पुस्तकालय होने के कारण यहां छात्रों का प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी को ले तांता लगा रहता है । सेवा सदन के पुस्तकालय में धर्म, राजनीति, आध्यात्म, विधि, भूगोल, काव्य, दर्शन, व्याकरण, अर्थशास्त्र, के साथ-साथ प्रतियोगिता परीक्षाओं सहित अन्य विषयों के पुस्तकों का भंडार है।कभी बिहार केशरी डॉ. श्री कृष्ण सिंह के नाम पर स्थापित श्री कृष्ण सेवा सदन और पुस्तकालय की तुलना पटना के सिन्हा लाइब्रेरी और खुदाबख्श लाइब्रेरी से की जाती थी। पुस्तकालय को जन उपयोगी बनाने के लिए बिहार केशरी ने हजारों पुस्तकें दान में दे दी। ताकि, युवा पुस्तकालय में बैठ कर ज्ञान अर्जन कर सकें। आज भी युवाओं का शहर के भिड़ भाड़ वाले इलाके से अलग हो यहां के शांत वातावरण में पढ़ाई करने आते है । छात्रों की संख्या अधिक होने के कारण यहां तत्काल छात्रों को बैठने की दिक्कत होने के बावजूद यहां छात्र पुस्तकालय के हर जगह पे पढ़ाई करते दिख जाते है।

यहां पे छात्र काफी कम यानी 200 रुपए सिक्योरिटी मनी और 6 रूपया मासिक शुल्क के साथ मेंबर बन किताबो के संसार से नाता जोड़ ज्ञान अर्जित कर सकते है । छात्रों ने कहा की उनके बैठने के लिए और व्यवस्था अगर सरकार के द्वारा कर दी जाती है तो और अच्छा होगा । वहीं इस मामले में पुस्तकालय में पदस्थापित लाइब्रेरियन ने बताया की आज पुस्तकालय में हर सुविधा छात्रों को उपलब्ध करवाई जा रही है। प्रतियोगिता परीक्षा से लेकर पेपर और अनुय पत्रिका भी नियमित ढंग से यहां आते है । हालांकि कुछ कमियां है इसे दूर करने को ले विभाग को लिखा गाय है ।

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