भागलपुर काली पूजा को लेकर पूरे जिले में धूम मची हुई है , इसको लेकर भागलपुर काली पूजा देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं | खासकर नाथनगर बहवलपुर काली मंदिर की बात करें तो इसकी बात ही अनोखी है .आपको बता दें कि बिहार व झारखंड में सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित किया जाता है. इसको लेकर जब मेढ़पति अजय सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह मंदिर मुगल शासक के काल से ही है. करीब ४00 वर्ष पुरानी मंदिर है. ऐसा कहा जाता है कि इस गांव में कालीचरण नाम का एक व्यक्ति हुआ करता था जो एक नदी में स्नान करने गया था और उस पर मां काली सवार हो गई थी. तभी जब वह गांव पहुंचा तो स्थान मांगने लगा और उन्हें स्थान दिया गया. एक पिंडी के रूप में मां काली को स्थापित किया गया और तभी से पूजा जाने लगा. सबसे खास बात कि यहां पर मंदिर का निर्माण नहीं हो सकता है. उन्होंने बताया कि कई बार मंदिर बनाने का प्रयास किया गया लेकिन उसके साथ कोई ना कोई अनहोनी जरूर हो जाती है. इसलिए माँ को खुले में रहना पसंद होता है. अजय सिंह ने बताया कि यह करीब 32 फीट ऊंची प्रतिमा होती है, उनकी आंख डेढ़ फीट की होती है, वहीं अगर जीभ की बात करें तो करीब 3 फीट की जीभ होती है. देखने में काफी आकर्षक व भयानक लगता है. तांत्रिक विधि से पूजी जाने वाली माता का विशेष महत्व भी है. अमावस्या की रात्रि में कई तांत्रिक मां काली की आराधना कर तंत्र विद्या का ज्ञान हासिल करते हैं. मां को मनाने के लिए तांत्रिक भी लगे रहते हैं. सबसे खास बात इस मंदिर की एक और खासियत है. उन्होंने बताया कि ऐसा कहीं नहीं देखा है की काली मंदिर के ठीक बगल में भोले बाबा का शिवलिंग हो. लेकिन यह आप रूपी शिवलिंग भी प्रकट है. उन्होंने बताया कि यहां पर जो भी मन्नत मांगते हैं वह पूरी हो जाती है.