NEWSPR डेस्क। बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेज अब ‘बिहार अभियंत्रण विश्वविद्यालय’ के अधीन होंगे। यह नया विश्वविद्यालय जल्द अस्तित्व में आ जाएगा। सबसे खास बात यह होगी कि इसके चांसलर ‘मुख्यमंत्री’ होंगे। बिहार का यह पहला अपना विश्वविद्यालय होगा, जिसके चांसलर ‘राज्यपाल’ नहीं होंगे। विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग ने बिहार अभियंत्रण विश्वविद्यालय विधेयक का प्रस्ताव तैयार कर लिया है।
वित्त विभाग और विधि विभाग से मंजूरी मिल गई है। शुक्रवार को संभावित राज्य कैबिनेट की बैठक में इस बिल को मंजूरी मिल सकती है। 26 जुलाई से विधानमंडल का मानसून सत्र होने वाला है। इसमें इसे पारित कराया जाएगा। कानून बनने के बाद विश्वविद्यालय अस्तित्व में आ जाएगा। उससे बाद वीसी, एक्जामिनेशन कंट्रोलर, रजिस्ट्रार, फाइनेंस ऑफिसर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर बहाली होगी। उम्मीद है कि अगले सत्र 2022-23 से अभियंत्रण विश्वविद्यालय पूरी तरह से काम करने लगेगा।
इस विवि में एआईसीटीई से अनुमोदित सिर्फ इंजीनियरिंग, प्रबंधन, ऑर्किटेक्चर और प्लानिंग की ही पढ़ाई होगी। सिर्फ प्रबंधन की पढ़ाई कराने वाले कॉलेजों को भी नहीं जोड़ा जाएगा। मान्यता के लिए उसमें इंजीनियरिंग की पढ़ाई होनी जरूरी है। विवि की गुणवत्ता को मेंटेन रखने के लिए आईआईटी पटना, एनआईटी पटना, चंद्रगुप्त इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट पटना और मैनेजमेंट डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट, पटना के निदेशकों को सदस्य बनाया जाएगा। एआईसीटीई और यूजीसी के प्रतिनिधि भी होंगे। इससे पाठ्यक्रम में जरूरत के अनुरूप तुरंत बदलाव हो सके। अभी शुरुआत अस्थायी परिसर से की जाएगी। संभावना है कि मीठापुर बस अड्डा वाली जमीन पर स्थायी परिसर का निर्माण होगा। राज्य के 38 सरकारी व 15 निजी इंजीनियरिंग कॉलेज इसके अधीन होंगे। अगले सत्र 2022-23 से काम करने लगेगा नया विश्वविद्यालय