NEWSPR डेस्क।
बड़ी आबादी बाढ़ में फंसी : बिहार के मुजफ्फरपुर में बूढ़ी गंडक नदी में आई बाढ़ में जिले की एक बड़ी आबादी फंसी हुई है। ऐसे में बाढ़ के पानी में फसे ग्रामीणों के लिए सबसे जरूरी साधन नाव है। लेकिन जब बाढ़ में फंसे लोगों को जरूरत की आवश्यक वस्तुओं को लाने ले जाने के लिए नाव नहीं मिली तो जुगाड़ से चावल, दाल बनाने वाले बड़े पतीलो को जोड़कर एक ऐसी अनूठी नाव बना डाला है। जिसकी चर्चा पूरे मीनापुर में पतीला नाव के रूप में हो रहा है।
प्रशासन से नहीं मिली नाव की सुविधा : मुजफ्फरपुर जिला की बड़ी आबादी बाढ़ का कहर झेल रही है। जिले के मीनापुर प्रखंड के बड़ा भारती पंचायत का मधुवन गांव बाढ़ प्रभावित है। घर के अंदर पानी भर जाने और सड़क पर सैलाब बहने के चलते लोग फंस गए हैं । बाढ़ के पानी में फंसे ग्रामीणों के लिए सबसे जरूरी साधन नाव है, लेकिन मधुवन गांव के लोगों को सरकारी नाव की सुविधा नहीं मिली। नाव नहीं होने के चलते बाढ़ में फंसे लोगों के सामने जरूरी सामान लाने की चुनौती आ गई।
मीनापुर में ब्लैक आउट का खतरा बढ़ा : मीनापुर में बूढ़ी गंडक की बाढ़ के कहर जारी है पानी के तेज बहाव की चपेट में आकर महदैया और पैगंबरपुर माया स्थान के समीप सड़क टूट गई अली नेउरा वार्ड दो और मझूअर के समीप आरसीसी पुल का संपर्क पथ टूट जाने से आवागमन ठप है। वहीं बनघरा पावर सब स्टेशन में करीब 4 फीट पानी प्रवेश कर जाने से कर्मचारियों में अफरा-तफरी मच गई। स्विच रूम में पानी प्रवेश करते ही पावर सबस्टेशन को बंद करना पड़ सकता है। इससे प्रखंड में ब्लैक आउट का खतरा बढ़ गया है ।
थर्मोकोल के नाव के सहारे चल रहा है काम : बूढ़ी गंडक का जलस्तर बढ़ने से शहर के बांध से सटे लगभग मोहल्ले डूब चुके हैं। जरूरी सामान के लिए भी बाढ़ से घिरे लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहा है। प्रशासनिक स्तर पर एक नाव तक की व्यवस्था नहीं की गई है। सिकंदरपुर से लकड़ीढाई तक 4 बड़े मोहल्ले में 850 घर है लेकिन एक भी नाव की व्यवस्था नहीं की गई है। लोग किसी तरह थर्मोकोल का नाव तैयार कर काम चला रहे हैं।