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बिहार सरकार के इस नियुक्ति पत्र पर उठा सवालिया निशान, अभ्यर्थियों ने खोला मोर्चा, जानिए पूरा मामला

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NEWSPR डेस्क। बिहार सरकार में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीस लाख नौकरी और रोजगार देने के वायदे को पूरा करने के लिए बिहार सरकार एक्शन में है। इसे लेकर वो सभी विभागों की खाली पदों को भरने की कवायद में लगी हुई है। सभी विभागों से उसके रिक्त पदों की सूची मांगी जा रही है और इसपर गहन मंथन चल रहा है। वहीं मत्स्य विभाग से जहां के अधिकारियों और कर्मियों पर एक सनसनीखेज आरोप लगा है और ये आरोप विभाग में पिछले कई वर्षो से कार्य कर रहे संविदा कर्मियों ने लगाया है।

उनका आरोप है कि आज से दो दिन पहले बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के हाथों जो नियुक्ति पत्र बांटी गई है, उसने घोर अनियमितता है और पैसे का भारी खेल खेला है। वैसे  अयोग्य अभ्यर्थियों को पत्र बांटा गया है जो अन्य विभागों में कार्य करते थे, उन्हें नियुक्ति पत्र दे दिया गया है। जबकि उस विभाग में कार्य करने वाले योग्य अभ्यर्थियों को नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए उन्हें नौकरी से वंचित कर दिया गया है। जिसके कारण वे लोग खासा परेशान है और न्याय की गुहार लगा रहे हैं और न्याय के लिए दर दर की ठोकड़े खाने को मजबूर है।

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विभाग के इस मनमाने रवैए से हैरान परेशान सैकड़ों अभ्यर्थियों ने नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी से न्याय की गुहार लगाई है। जहां नेता प्रतिपक्ष ने इसे गंभीरता से लेते हुए  सदन में आवाज उठाने का आश्वाशन दिया है। वो भी तब जब ये मामला माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। दरअसल बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग  ने आज से कुछ महीने पहले एक विज्ञापन के माध्यम से ये घोषणा की थी। इस विभाग में वैसे अभ्यर्थियों को नौकरी में लाभ दिया जाएगा और मत्स्य विभाग में संविदा पर कार्य करने वाले योग्य अभ्यर्थियों को नौकरी में प्राथमिकता दी जाएगी।

जब इस पद के लिए नियुक्ति बांटने का समय आया तो विभाग के अधिकारियों और कर्मियों ने मोटी रकम लेकर  वैसे अभ्यर्थी जो दूसरे विभाग मसलन जीविका, जलछाजन, भूमि संरक्षण, वार्ड बैंक जैसे विभाग में संविदा पर काम करते थे। वैसे अयोग्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिलवा दिया गया है। ऐसा आरोप मत्स्य विभाग  में वर्षो से कार्य करने वाले लोगों ने लगाया है।

मोतिहारी से धर्मेंद्र की रिपोर्ट

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