विकास सिंह
आरा: बिहार सरकार के उपसचिव ने राज्य के सरकारी कर्मी को 50 वर्ष पूर्ण होने अथवा सेवा के 30 वर्ष पूर्ण होने पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश जारी किए हैं। इसके तहत यदि किसी कर्मी का उम्र जनवरी से जून में 50 वर्ष पूरा होता है तो उसका समीक्षा जून में और जिनकी उम्र जुलाई और दिसम्बर में 50 वर्ष होता है उसकी समीक्षा दिसम्बर माह में किया जाएगा।
यदि कर्मी कार्य करने के योग्य नहीं रहता है, उसकी सेवा में प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज होता है, कार्य कुशलता नहीं रहती है तो उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दिया जाएगा। यह नियम वर्ग क, ख और ग समूह के लिए लागू रहेगा। ग समूह का अध्यक्ष नियुक्ति प्राधिकार होगा। वैसे तो इसका प्रयोग दंडात्मक रूप में नहीं किए जाने का आदेश दिया है किंतु व्यवहार में इसका प्रयोग दंडात्मक हो जाएगा।
बिहार सरकार द्वारा पारित आदेश का बिहार के शिक्षक, कर्मचारी विरोध करता है। सरकार इस आदेश को वापस ले। यह काला कानून है। इससे तानाशाही और नौकर शाही को बल मिलेगा। लोकतंत्र खतरे में पड़जाएगा। वर्तमान में कर्मचारियों की सेवा निवृति उम्र 60 वर्ष है और डॉक्टर एवम प्रोफेसर का सेवानिवृत्ति 65 वर्ष में है। सर्वविदित है कि शिक्षकों का पूरे बिहार में 3 लाख पद खाली है जबकि कर्मचारियों का लगभग चार लाख पद खाली है यदि 50 वर्ष में अनिवार्य सेवा निवृति लागू होता है तो वर्तमान के कर्मी दस वर्ष पहले सेवा निवृत हो जाएंगे। सरकार के इस आदेश से निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा। सरकारी नौकरी सपना हो जाएगा।
बिहार की यही नीतीश-मोदी की सरकार ने सत्ता में आते ही बिहार के विद्यालयों में शिक्षक का पद ही समाप्त करने का कार्य किया जिसका खामियाजा बिहारवासी भुगत रहे हैं। एक तरफ बिहार की अक्षम सरकार नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने में असफल साबित हो रही है तो दूसरी तरफ ऐसा आदेश पारित कर बिहार की शिक्षा व्यवस्था को और चौपट करना चाहती है। बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ( गोप गुट ) और राष्ट्रीय महिला शिक्षक मोर्चा (NFWT) जिला शाखा भोजपुर , सरकार के इस निर्णय का पूरी तरह से विरोध करता है और इस आदेश को वापस लेने की मांग करता है। बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संंघ (गोपगुट) के राज्य उपाध्यक्ष सह जिलाध्यक्ष , भोजपुर, राजाराम सिंह ‘प्रियदर्शी’, कमलेश कुमार , राज्य सचिव सह प्रखंड सचिव , सहार , जिला सचिव, धर्म कुमार राम, जिला कोषाध्यक्ष, मनोज कुमार किरण, राष्ट्रीय महिला शिक्षक मोर्चा ( NFWT ) की प्रदेश महासचिव, कुमारी अल्का , राज्य कोषाध्यक्ष , अंजू कुमारी सहित संघ के सभी जिला पदधारकों ने इस आदेश की निंदा की और मांग किया कि यदि आदेश बिहार सरकार के द्वारा वापस नहीं लिया जाता है तो पूरे बिहार में आंदोलन किया जायेगा।