बोधगया में लाल पत्थर दुकानदारों का हाल, 8 साल में नहीं मिली सरकारी मदद, सुरक्षाव्यवस्था का हवाला देकर हटाया गया था

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। बोधगया विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर में 7 जुलाई 2013 को आतंकियों ने रासीरियल बम ब्लास्ट किया था। बोधगया के इलाके की विभिन्न बुद्ध मंदिर और सड़कों पर सीरियल बम प्लांट कर ब्लास्ट किया गया था। इस दिन बोधगया वासियों काला दिन मनाते हैं, क्योंकि बोधगया लाल पत्थर के दुकानदारों को सुरक्षा व्यवस्था के हवाले देकर उन्हें हटा दिया गया। वहीं सरकारी मदद देने का वादा किया गया था, जो आज तक नहीं मिली।

2013 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और बम ब्लास्ट के बाद सोनिया गांधी और उस वक्त के गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और अन्य तमाम नेताओं का दौरा हुआ था। साथ ही विपक्ष के नेता भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह, शाहनवाज हुसैन और अनगिनत नेताओं ने भी बोधगया घटनास्थल का जायजा लिया था। भाजपा के नेताओं के द्वारा घोषणा किया गया था कि केंद्र में भाजपा की सरकार बनेगी, तो केंद्रीय सुरक्षा व्यवस्था में जवानों को नियुक्त किया जाये और अत्याधुनिक हथियारों और यंत्रों को लगाकर सुरक्षा बेहतर किया जायेगा, जो वर्तमान समय तक नहीं हुआ। बुद्ध मंदिर के सुरक्षा में लगभग 350 बीएमपी के जवान को ड्यूटी पर तैनात किया गया और बोधगया के 1 किलोमीटर के दायरे में चेकिंग पॉइंट सुरक्षा बल तैनात किया गया है।

नो एंट्री जोन के लिए भी मैप तैयार कर सुरक्षा बलों को लगाया गया। विभिन्न सड़क और मंदिर की मोड़ो पर चप्पे-चप्पे में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गये हैं। बोधगया मंदिर हमेशा आतंकियों के निशाने पर होने की चर्चा में रह रही है। बीएमपी जवानों के द्वारा ही महाबोधि मंदिर की बेहतर सुरक्षा चकाचौंध कर दिया गया। जबकि बम ब्लास्ट के पूर्व में बोधिवृक्ष की टहनी की भी काटकर बेचने के मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है और इसमें कुछ आरोपी और गवाहों की मौत भी हो गई, लेकिन बोधिवृक्ष की टहनी काट कर बेचे जाने के मामले में उच्च स्तरीय जांच आज तक नहीं हो पाया।

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