नालंदा जिले के भगवान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान पावापुरी अस्पताल में शुक्रवार को अस्पताल कर्मियों की बड़ी लापरवाही देखने के मिली जहां एक प्रसव के लिए अस्पताल पहुंची महिला ने अस्पताल के इमरजेंसी के समीप बालकोनी में ही बच्चे को जन्म देना पड़ा। देर रात 8:30 बजे तेतरावा गांव निवासी नीलेश साव की पत्नी बबली देवी को लेबर रूम तक ले जाने के लिए न तो स्ट्रेचर मिला और न ही व्हीलचेयर। पीड़ा से बिलखती गर्भवती जब खुद अपने स्वजन के साथ अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के रजिस्ट्रेशन काउंटर से प्रथम तल पर जाने के लिए मुस्किल से 20 कदम बढ़ाया होगा तो पीड़ा बढ़ जाने पर वहीं फर्श पर बैठ गई। जब तक तीमारदारों को स्ट्रैचर नसीब हुआ तब तक दर्द से बेहाल गर्भवती फर्श पर ही बच्चें को गलियारा में जन्म दे चुकी थी। बच्चे को इस प्रकार से अस्पताल की गलियारा पर पड़ा देख आसपास भीड़ जुट गई और बगल मैं आईसीयू विभाग में कार्यरत एक जीएनएम नर्स की नजर पड़ी तो वह वहां पहुंचकर मरीज की देखभाल में जुट गई। फिर वहां से दोनों को उठाकर विभाग में ले जाया गया। जांच करने पर जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ पाए गए। मरीज के स्वजन ने बताया कि जैसे ही वे लोग अस्पताल आशा के साथ पहुंचे।जिसके बाद परिजन पर्ची कटवाने के लिए चली गई। इस बीच वहां खड़े अस्पताल कर्मियों ने उसे प्रसव रूम जाने के लिए कह दिया किसी ने भी महिला की प्रसव का दर्द के संबंध में जानने का प्रयास किया। यहां तक की वहां करें अस्पताल कर्मियों ने ही स्ट्रैचर या फिर चेयर की व्यवस्था तक कराई । महिला को सीधे प्रथम तले पर जाने के लिए कह दिया।अस्पताल अधीक्षक अरुण कुमार सिन्हा ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है लेकिन अगर ऐसी बात हुई है तो यह लापरवाही है मरीज को कम से कम स्ट्रेचर देना चाहिए था वहां उसे देखना चाहिए था उन्होंने लापरवाही बरतने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को चेतवानी देकर छोड़ने की बात कही।