NEWSPR डेस्क। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले में मंगलवार के दिन सदर अस्पताल कैंपस में लचर व्यवस्था एक बार फिर से देखने को मिला। सरकार लाख स्वास्थ्य व्यवस्था सुदृढ़ करने का दावा करती है लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
गौरतलब है कि मंगलवार की अहले सुबह शौच के लिए खेत जा रहे थे। इसी दौरान पइन मैं पैर फिसल जाने के कारण डूबने से मौत हो गई। मृतक की पहचान सारे थाना इलाके के बकाचक सबाजपुर गांव निवासी चतुर मांझी के 66 वर्षीय मोहन मांझी के रूप में हुई है। मौत के बाद पुलिस ने कागजी करवाई करते हुए शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए बिहार शरीफ सदर अस्पताल भेज दिया।
मगर सदर अस्पताल में मानवता को शर्मसार कर देने वाली तस्वीर सामने आई पुलिस के द्वारा शव को निजी वाहन के द्वारा पोस्टमार्टम के लिए भेज तो दिया गया। मगर पोस्टमार्टम कक्ष से करीब दो सौ मीटर पहले ही गाड़ी को रोक दिया गया था। वहां से मृतक के भाई और बहनोई खुद कंधे पर शव को उठाकर पोस्टमार्टम रूम तक ले गया।
मगर वहां मौजूद सिपाही और अस्पताल के कुछ कर्मी थे लेकिन किसी ने मदद के लिए आगे नहीं बढ़ा। जब भाई से पूछा गया कि कंधे पर शव क्यों ले गए? तो उन्होंने बताया कि किसी ने स्ट्रेचर नहीं दिया इसलिए शव को कंधे पर उठाकर पोस्टमार्टम रूम तक ले गए। यदि स्टेचर मिलता तो शव को कंधे पर उठाने की जरूरत नहीं पड़ती।
ऋषिकेश संवाददाता नालंदा