भागलपुरी सिल्क कारोबार में 3 साल बाद उछाल, बुनकरों को 350 करोड़ के 5 लाख सिल्क साड़ी बनाने के मिले ऑर्डर

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। सिल्क के व्यापार से ही भागलपुर का नाम सिल्क नगरी पड़ा। यहां के बुनकरों को आए दिन कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, चाहे वह बिजली हो ,सूत हो, मजदूरी हो या फिर व्यापार करने के लिए बाजार का अभाव। फिर भी काफी तल्लीनता से यहां के बुनकर लगे रहते हैं, सरकार की उदासीनता सरेआम बुनकरो के साथ देखी जाती है। सरकार की ओर से विशेष सुविधाएं नहीं मिल पाने के बाबजूद भी यह अपने काम में अडिग रहते हैं।

कोरोना काल में  यहाँ के  बुनकरों की स्थिति बद से बदतर हो गई थी, बुनकर यहाँ से पलायन करने लगे थें, कोरोना का प्रकोप कम होने के दो साल बाद धीरे धीरे सिल्क का कारोबार फिर से  अस्तित्व में आना शुरू हुआ है।  बता दें कि हाल के वर्षों में 2019 में 300 करोड़ 2020 में 10 करोड़ 2021 में 15 करोड़ रुपए  का व्यापार हुआ था और सबको पीछे छोड़ते हुए इस बार 2022 में रिकॉर्ड तोड़ 350 करोड़ रुपए का व्यापार हुआ है।

कोरोना काल के 2 साल बाद  इस बार फिर से सिल्क के कारोबार ने रफ्तार पकड़ी है। इस बार नवरात्रि के उपलक्ष पर बुनकरों को पांच लाख सिल्क साड़ियों का आर्डर मिला है जिसकी कीमत तकरीबन 350 करोड़ बताई जा रही है , औसतन प्रत्येक   कतान सिल्क साड़ी की कीमत 5000 से 15000 रुपए तक की आती है, वहीं बूटी साड़ी 24000 रुपये से 30000 रुपये तक की आती है, इनमें लाल और पीले रंग की साड़ियों की मांग ज्यादा है।

भागलपुर में कोकून के धागे काफी महंगे हो गए हैं इसलिए इसे छत्तीसगढ़ झारखंड और उड़ीसा से मंगाया जा रहा है, धागे के दाम में 20 फ़ीसदी तक बढ़ोतरी हुई है फिर भी खरीदारों के उत्साह में कमी नहीं आई है, पारंपरिक परिधान के शौकीन बड़े दाम पर भी जमकर खरीदारी कर रहे हैं। भागलपुरी सिल्क साड़ी का डिमांड ज्यादातर पश्चिम बंगाल में है, पश्चिम बंगाल के अलावे भारत के विभिन्न राज्यों में जैसे दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र ,केरल आदि में भी दशहरा के मौके पर भागलपुर की सिल्क साड़ी महिलाओं की बेहद पसंदीदा पारंपरिक पोशाक है।

इस बार भागलपुर के सिल्क व्यवसाई व बुनकरों में  काफी खुशी है, उन्हें उम्मीद है कि पिछले 2 साल कोरोना  की मार को झेल चुकी स्थिति में जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई अब हो पाएगी। भागलपुर में सिल्क कारोबार तो बढ़ता चला जा रहा है परंतु यहां के बुनकरों को सरकारी कोई भी सुविधा नहीं मिल पाने के कारण वह अभी भी धरातल पर है , उन्हें उचित मजदूरी नहीं मिल पाती जिसके चलते यह केवल कर काफी परेशान है।

रिपोर्ट श्यामानंद सिंह भागलपुर

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