भारत विरोधी बयान देनेवाले नेपाल के पीएम ओली की कुर्सी खतरे में, सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी में होगा फैसला

Sanjeev Shrivastava

नई दिल्लीः एक महीने से भारत के खिलाफ बयान देनेवाले नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली की कुर्सी जाती नजर आ रही है। बताया जा रहा है कि नेपाल की सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की स्थाई समिति की आज अहम बैठक होने जा रही है। इस बैठक में नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के भविष्य पर निर्णय लिया जाएगा। पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी दी है। भारत विरोधी टिप्पणी करने को लेकर प्रधानमंत्री पद से ओली के इस्तीफ़े की बढ़ती मांग के मद्देनज़र यह बैठक हो रही है।

स्थानिय अखबारों में छपी खबर की मानें तो ओली और एनसीपी के र्काकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री आवास में बैठक की। मीडिया में आई खबरों में कहा गया है कि तीन घंटे तक चली बैठक दोनों शीर्ष नेताओं के बीच विश्वास बहाल करने के लिए हुई। ओली के साथ बैठक के बाद प्रचंड ने नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से भी मुलाकात की।

ओली से की जा रही इस्तीफे की मांग

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं ने मंगलवार को प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि उनकी हालिया भारत विरोधी टिप्पणी ना तो राजनीतिक रूप से सही है और ना कूटनीतिक रूप से उपयुक्त है।      
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने मंगलवार को स्थाई समिति की बैठक दौरान प्रचंड द्वारा कही गई बात को उद्धृत करते हुए कहा कि दक्षिणी पड़ोसी देश और अपनी ही पार्टी के नेताओं पर प्रधानमंत्री ओली द्वारा आरोप लगाया जाना उचित नहीं है।

बैठक में प्रधानमंत्री के भविष्य पर निर्णय

सूत्रों ने बताया कि प्रचंड ने शनिवार को पार्टी की स्थाई समिति की बैठक बुलाई है, जिसमें प्रधानमंत्री के भविष्य पर निर्णय लिया जा सकता है। स्थाई समिति के सदस्य गणेश शाह ने कहा कि शनिवार को समिति की बैठक के दौरान दोनों पक्ष कोई ऐसा तंत्र बनाने पर काम करेंगे, जिसके तहत पार्टी और सरकार दोनों को कुछ नियम-कायदों का पालन करना होगा, ताकि मतभेद दूर हो सकें। उन्होंने यह विचार प्रकट किया कि प्रधानमंत्री ओली मनमाने तरीके से सरकार चला रहे हैं और वह पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रचंड को अपना काम नहीं करने दे रहे हैं। वहीं, बताया जा रहा है कि पार्टी में ओली हाशिये पर चले गए हैं क्योंकि काफी संख्या में वरिष्ठ नेता प्रचंड के साथ हैं। ओली के पास स्थाई समिति में सिर्फ 15 सदस्यों का ही समर्थन है।

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