भूतों का भानगढ़: जानिए इसके पीछे की डरावनी रोचक कहानियां, सूर्यास्त होने के बाद को यहां जाना है मना

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। राजस्थान स्थित भानगढ़ को दुनिया के सबसे डरावनी जगहों में से एक माना जाता है। इस किले में आज तक जो भी गया सब ने यहां की नेगेटिव एनर्जी को महसूस किया है। लोगों की माने तो यहाँ से रात में किसी के रोने और चिल्लाने की आवाजें आते है यहां पर मारे गए लोगों की आत्माएं आज भी रात को भटकती हैं।  भूत – प्रेत इस दुनिया में होते हैं या नहीं इस बात की पुष्टि करना तो बहुत मुश्किल है, लेकिन ‘भूत’ का नाम सुनते ही अच्छे से अच्छे लोगों के मन में डर की लहर जरूर दौड़ जाती है। बता दें कि इस जगह के चर्चे इतने रहे कि इस जगह को लेकर काफी सारी मूवी बनाई गई है।

भानगढ़ को दुनिया के सबसे डरावनी जगहों में से एक माना जाता है। इस किले में आज तक जो भी गया है सब ने यहां की नेगेटिव ऊर्जा को महसूस किया है। लोगों की माने तो यहाँ से रात में किसी के रोने और चिल्लाने की आवाजें आते है यहां पर मारे गए लोगों की आत्माएं आज भी रात को भटकती हैं  भूत – प्रेत इस दुनिया में होते हैं या नहीं इस बात की पुष्टि करना तो बहुत मुश्किल है, लेकिन ‘भूत’ का नाम सुनते ही अच्छे से अच्छे लोगों के मन में डर की लहर जरूर दौड़ जाती है। वैसे तो हमारे देश में बहुत से हॉन्टेड प्लेस है लेकिन इस लिस्ट में भानगढ़ किला का नाम सबसे ऊपर आता है । जो कि बोलचाल में “भूतों का भानगढ़ “के नाम से भी ज्यादा जाना जाता है।

भानगढ़ किले को एशिया की सबसे डरावनी जगहों में से एक माना जाता है। कई लोग इसे खतरनाक बताते हैं जबकि कई लोग कहते हैं कि यह भूतिया है, लेकिन तथ्य यह है कि रहस्यों से घिरा किला राजस्थान में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है। भानगढ़ किला भारत के सबसे प्रेतवाधित स्थान में से एक है।जब आप यहां होते हैं, तो आप इसकी राजसी वास्तुकला पर आश्चर्यचकित हो सकते हैं,हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें यहां पर अजीब सा एहसास होता है जैसे कि कोई उनका पीछा कर रहा हो। यही कारण है कि इसकी लोकप्रियता के बावजूद, लोग लंबे समय तक किले में घूमने से बचते हैं। रात में भानगढ़ किले के अंदर रहना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने भानगढ़ के कई स्थानों पर लोगों को सूर्यास्त के बाद और सूरज उगने से पहले परिसर में रहने के खिलाफ चेतावनी देने के लिए बोर्ड भी लगाए हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, जो कोई भी रात में किले के अंदर जाने में कामयाब रहा, वे अपनी कहानी बताने के लिए कभी नहीं लौटे, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि रात में आत्माएं वहां घूमती हैं।

रिपोर्ट्स की मानें तो भानगढ़ से जुड़ी कई भयानक कहानियां लोगों के पास हैं।भानगढ़ किले को गुरु बालूनाथ नामक एक साधु ने शाप दिया था। दरअसल, जिस जगह पर किला बनाया गया है, वह एक बार ऋषि के ध्यान स्थल था, और जब राजा ने उनसे अनुरोध किया कि वह यहां एक किला बनाना चाहते हैं, तो ऋषि एक शर्त पर सहमत हुए कि किले की छाया उन्हें नहीं छूनी चाहिए। राजा ने उसे विश्वास दिलाया कि उसके स्थान पर किले की छाया उसे नहीं छुएगी, हालांकि ऐसा नहीं हुआ और साधु के श्राप ने पूरा गांव नष्ट कर दिया।

ऐसी ही एक कहानी भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती से जुड़ी है भानगढ़ किला जो दिखने में जितना शानदार है उसका अतीत उतना ही भयानक है आपको बता दें की भानगढ़ किले के बारे में प्रसिद्ध एक कहानी के अनुसार रानी रत्नावती भानगढ़ की राजकुमारी थी। राजकुमारी रत्नावती बहुत खुबसुरत थी, वह इतनी सुंदर थी कि उसकी सुन्दरता की चर्चा पुरे राज्य में हुआ करती थी। देश विदेश के राजकुमारो से लेकर राजा महाराजा तक रत्नावती से विवाह की इच्छा रखते थे। कई राज्यो से उनके लिए विवाह के प्रस्ताव आ रहे थे। कहा ये भी जाता है की राजकुमारी रत्नावती भानगढ़ की रानी थी और भानगढ़ के राजा छत्रसिंह की पत्नी थी। वह राजा तीतरवाड़ा की पुत्री थी। रानी रत्नावती रूपवती होने के साथ-साथ तंत्र विद्या में भी पारंगत थी।

कहानी के अनुसार काले जादू का महारथी सिंधु सेवड़ा नाम के एक तांत्रिक ने भानगढ़ के बारे में जब यह सुना कि यहां तांत्रिकों का सम्मान किया जाता है तो वह यहां पहुंच गया और महल के सामने स्थित एक पहाड़ी पर अपना स्थान बनाकर साधना करने लगा।

वहीँ से एक दिन उसकी दृष्टि राजकुमारी रत्नावती पर पड़ी और वह उसके सौंन्दर्य पर मोहित हो गया। तब से वह राजकुमारी रत्नावती के रूप का दिवाना हो गया था। वह रत्नावती को पाना चाहता था किंतु, ये आसान न था, वह कोई साधारण स्त्री नहीं, बल्कि उसी राज्य की राजकुमारी थी और यहां के राजा को यदि उसके प्रयासों की भनक भी मिल गई तो उसके प्राण बचाने वाला कोई नहीं होगा। इस सबके बाद भी वह राजकुमारी को मन से नहीं निकाल पा रहा था।उसने कई बार छोटे-मोटे प्रयास किए, लेकिन वह सफल न हो सका। अपनी लगातार असफलताओं के कारण राजकुमारी को पा लेने की इच्छा उसके मन में बदला लेने की हद तक बढ़ती जा रही थी।वह अच्छी तरह जान गया था कि बिना तांत्रिक शक्तियों का प्रयोग किए रत्नावती तक पहुंच पाना भी असंभव है इसलिए सेवड़ा तांत्रिक ने अपनी काली तांत्रिक शक्तियों के द्वारा राजकुमारी रत्नावती को अपने वश में करने की योजना बनाने लगा। इस कार्य के लिए उसने राजकुमारी रत्नावती की दासी को अपने साथ मिला लिया।एक दिन जब वह दासी बाज़ार में राजकुमारी रत्नावती के लिए इत्र लेने गई। तब तांत्रिक सिंधु सेवड़ा ने तांत्रिक शक्तियों से उस इत्र पर वशीकरण मंत्र प्रयोग कर उस इत्र के बोतल को राजकुमारी रत्नावती के पास भिजवा दिया। उस तांत्रिक का यह जादू था की जो भी उस इत्र को अपने ऊपर छिड़केगा वह उस तांत्रिक के वश में हो जायेगा और उसकी ओर खिंचा चला आयेंगा। उसकी योजना थी कि वशीकरण के प्रभाव से राजकुमारी रत्नावती उसकी ओर खिंची चली आयेंगी।किंतु एक विश्वशनीय व्यक्ति ने राजकुमारी रत्नावती को इस छल के बारे में बता दिया। जब रत्नावती ने जोर देकर दासी से पुछा तो दासी ने सारी सच्चाई बता दिया।

राजकुमारी रत्नावती को तांत्रिक पर बहुत घस्सा आया और उसने उस इत्र के बोतल को उठाया और उसे खिड़की से बाहर फेंक दिया। बोतल एक चट्टान पर गिरा और सारा इत्र उस चट्टान पर बिखर गया और उस तांत्रिक का वशीकरण मंत्र उस चट्टान पर चल गया।तंत्र विद्या के प्रभाव में वह चट्टान तीव्र गति से लुड़कते हुए तांत्रिक सिंधु सेवड़ा की ओर जाने लगा।

जब तांत्रिक ने चट्टान से अपनी मौत निश्चित देखी तो मरने से पहले श्राप दे दिया कि इस किले में रहने वालें सभी लोग जल्दी ही मर जायेंगे उनकी आत्माएं सदा किले में भटकती रहेंगी और भानगढ़ बर्बाद हो जायेगा। तांत्रिक चट्टान के नीचे कुचला गया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गयी।उस तांत्रिक के मौत के कुछ दिनों के बाद ही भानगढ़ पर पड़ोसी राज्य ने हमला कर दिया जिसमें भारी नरसंहार हुआ किले में रहने वाले सारे लोग मारे गये साथ ही रत्नावती भी मारी गई और भानगढ़ वीरान हो गया। तब से वीरान हुआ भानगढ आज तक वीरान है।कहा जाता है कि किले में एक साथ इतने बड़े कत्लेआम के बाद वहां मौत की चींखें गूंज गयी थी आज भी यहाँ से रात में किसी के रोने, चीखने और चिल्लाने की तेज आवाजें आती है।तांत्रिक के श्राप के कारण मारे गए उन लोगों की आत्माएं आज भी रात को भानगढ़ के किले में भटकती हैं और सूर्यास्त के बाद इस इलाके में किसी भी व्यक्ति के रूकने के लिए मनाही है। कहा जाता है एक नहीं बल्कि दो दो श्राप ने उजाड़ दी भानगढ़ की खुशियां। भानगढ़ के बर्बाद होने के संबंध में दो कहानियाँ प्रचलित है।

 

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