NEWSPR DESK- मुंगेर मकर संक्रांति आने में अभी एक महीना सेंस है, लेकिन तिलकुट की सौंधी खुशबू से मुंगेर बाजारअभी से ही महक उठा है, गांधी चौक से लेकर शादीपुर सहित अन्य चौक-चौराहों पर जिलकुट की दुकानें भी धीरे-धीरे सजने ली है, जहां गया से कारीगर पहुंच बना रहे लजीज तिलकुट जहां खरीदार भी पहुंच रहे हैं ।
मुंगेर शहर के कई चौक चौराहा पर सजी है तिलकुट की दुकानें यह बात सही है कि मकर संक्रांति आने में अभी एक महीना बाकी है । लेकिन मुंगेर बाजार में महीने से तिलकुट का कारोबार शुरू हो जाता है । दिसंबर शुरू होते ही तिलकूट बाजार गांधी चौक, शादीपुर सहित अन्य क्षेत्रों में तिलकुट का निर्माण के साथ ही बाजार सजने लगी है । गांधी चौक पर तिलकुट निर्माण कार्य को कारीगर अंजाम दे रहे हैं ।
इसके कारण उस होकर गुजरने वालों को तिलकुट की सोधी खुशबू अपनी ओर खींच ले जा रहा है. हालांकि बाजार में बिक्री को देखते हुए अभी कम मात्रा में तिलकुट तैयार हो रहा है, लेकिन तिलकुट निर्माण से उठने वाली सौंधी खुशबू से वातावारण महक उठा है ।
तिलकुट कारोबार पर इस बार महंगाई की मार है, तिल की कीमत में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, जो तिल अगले साल 180 रुपये किलो मिल रहा था । इस बार वह तिल 240 रुपये किलो मिल रहा है, जबकि करीगर और मजदूरों के दर में भी बढ़ोतरी हुई है । एक दुकानदार ने बताया कि पहले कारीगर को 700 और मजदूर को 400 रुपये के साथ ही रहने, खाने की सुविधा देते थे ।
लेकिन इस बार 1000 रुपये कारीगर और 700 मजदूर को देना पड़ रहा है ।महंगाई के बावजूद तिलकुट कारोबार से जुड़े दुकानदारों को उम्मीद है कि इस बार एक करोड़ से अधिक का कारोबार तिलकुट का होगा लेकिन मकर संक्रांति पर्व का यह मुख्य मिठाई है । यू तो ठंड के साथ ही नवंबर महीने से वहाँ तिलकुट का कारोबार शुरू हो जाता है।
लेकिन इस बार दिसंबर महीने में यह कारोबार शुरू हुआ क्योंकि ठंड विलंब से आदी है । वैसे भी तिलकुट बाजार में 10 जनवरी से तेजी आती है, जो 14 जनवरी तक मकर संक्रांति बरकरार रहती है । यह कारोबार खींचतान पर पूरे जनवरी महीने तक चलता है । इसके बाद कारोबार बंद हो जाता है।