‘माउंटेन मैन’ के नाम से सुप्रसिद्ध दशरथ मांझी की पुण्यतिथि, मुख्यमंत्री नीतीश ने किया याद..कहा- उनके अतुलनीय कार्य से दुनिया लेती रहेगी प्रेरणा

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। आज माउंटेन मैन’ के नाम से सुप्रसिद्ध दशरथ मांझी की पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री नीतीश ने उनको नमन करते हुए श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने कहा कि सिर्फ हथौड़ा और छेनी की मदद से 22 साल अथक मेहनत कर पहाड़ को समतल कर देने वाले अपनी इसी मेहनत और लगन के कारण अदम्य साहसी ‘माउंटेन मैन’ के नाम से सुप्रसिद्ध दशरथ मांझी जी को उनकी पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन। मांझी जी द्वारा किए गए अतुलनीय कार्य से दुनिया प्रेरणा लेती रहेगी।

बता दें कि 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही थे, जो कि बाबा दशरथ मांझी के काम से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने बाबा को सम्मान देते हुए अपनी कुर्सी पर बैठाया। 17 अगस्त 2007 में बाबा दशरथ मांझी के निधन के बाद आमिर खान से लेकर कई बड़े कलाकार आए. साथ ही बड़े राजनीतिक हस्ती भी गहलौर पहुंचे थे. 17 अगस्त 2007 को नई दिल्ली एम्स में बाबा दशरथ मांझी ने अंतिम सांस ली थी।

ॉबिहार के गया के मोहड़ा प्रखंड में गेहलौर गांव में दशरथ मांझी मजदूर के रूप में काम करते थे। सन् 1959 में दशरथ मांझी की पत्नी फाल्गुनी देवी मजदूरी करने वाले बाबा दशरथ के लिए खाना-पानी लेकर पहाड़ के रास्ते जा रही थी। उसी वक्त उनका पैर फिसल गया था और गंभीर रूप से घायल हो गई। वहीं गेहलौर से नजदीकी अस्पताल वजीरगंज ले जाने के क्रम में फाल्गुनी देवी की मौत हो गई।

उस गांव से वजीरगंज अस्पताल 55 किलोमीटर की दूरी पर था। अगर अस्पताल नजदीक होता तो शायद फाल्गुनी देवी की जान बचाई जा सकती थी। बता दें कि इस घटना से दशरथ मांझी काफी व्यथित हुए। पत्नी के प्रेम के संकल्प और समाज के हित में उन्होंने एक दृढ़ निश्चय लिया कि अपने गांव और समाज की मदद के लिए गेेहलौर घाटी के पहाड़ को काटकर रास्ता बनाएंगे और इस रास्ते को अस्पताल से जोड़ेंगें।  जिसके बाद उन्होंने  पहाड़ पर छेनी और हथौड़ी चलाना शुरू किया। 22 ,साल की लगातर तप के बाद रास्ता बनकर तैयार हो गया।

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