माता-पिता ने दो साल की मृत बेटी की आंखें कर दी दान, कहा – दूसरे की आंख में करेंगे बेटी के होने का एहसास, अब दो लोगों को मिलेगी दुनिया देखने की सौगात

Sanjeev Shrivastava

अजीत सोनी

गुमलाः आदिवासी दंपति ने इसकी मिसाल दी है  मृत बेटी की आंख को  दान कर दिया । गुमला जिला की  दुदरिया के रहने वाली पूर्व उप_विकास आयुक्त के बेटे व उनकी पत्नी आदिवासी दंपत्ति चंद्रप्रकाश पन्ना और सुलेखा पन्ना सामाजिक दायित्व का निर्वाह करते हुए एक अनूठी मिसाल पेश की है। इसकी दो साल की एकलौती बेटी वंशिका 16 जुलाई को अपने ही घर के बालकोनी से गिर गई जिससे उसकी मौत हो गई दुनिया से जाने के बाद भी बेटी की यादें जिंदा रखने के लिए मां-बाप ने उनकी आंखें दान करने का फैसला लिया | नेत्र दान के बाद उनके दादा पुनई उराँव ने बताया की नेत्र दान महा दान होता है |गुमला साहू नर्सिग होम में इलाज नही होने के बाद रांची ले जाते के क्रम में उसकी मौत हो गया था| वंसिका को पेड़ – पौधों से प्यार था, उसकी याद में उन्होंने एक पेड़ भी लगाया है|

दूसरे की आंख में करेंगे वंसिका के होने का एहसास

गुमला सदर थाना क्षेत्र निवासी दुदुरिया  कि दंपति जब उसके आई बैंक में पहुंचा तो उनकी गोद में बच्ची का चौथा मां बेटी का शव ऐसे पुचकार रही थी जैसे वह अब भी जीवित हो दंपति ने डॉक्टर को पूरी घटना बताई और बच्ची का नेत्रदान करने की इच्छा जताई कहा आंखें बचा लीजिए ताकि नेत्र लोगों की जिंदगी रोशन हो सके दूसरे की आंखों की रोशनी में हमें वंशिका की होने का एहसास कर सकेंगे।

वंसिका की आंखों से देख सकेगी दो जिंदगी

जिसके बाद तत्काल नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर निधि गडकर कश्यप ने अंशिका की दोनों आंखें कोर्निया को संग्रहित किया उन्हें दो दृष्टिहिनो को लगाया जाएगा।

शादी के कई साल बाद बनी थी मां

वंशिका के पिता चंद्रप्रकाश पन्ना  ने बताया कि उनकी पत्नी सुलेखा पन्ना बैंक कर्मी है| शादी का लंबा वक्त गुजर गया था 40 (साल) की उम्र में वह मां बनी थी जब वंशिका उसकी गोद में आए तो मानो पूरा घर रोशन हो उठा उसकी उसकी हंसी और उसकी छोटी-छोटी शरारतें अभी उनके जेहन में ताजा है| 16 जुलाई को सुलेखा ड्यूटी पर गई थी पिता घर में ही थे इसी बीच वंशिका दोस्तों के साथ घर की बालकोनी में खेल रही थी तभी अचानक वह बालकोनी से नीचे गिर पड़ी घायल अवस्था में उसे गुमला साहू नर्सिंग होम में इलाज कराया गया जिसके बाद रांची की रानी चिल्ड्रेन अस्पताल लाया गया जहां डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। रांची सद्र अस्पताल में  मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर  दंपति ने अपनी बेटी की आंखें दान करने का फैसला लिया दंपति ने कहा कि आदिवासी दंपति नेत्रहीन को देने की मिसाल मृत बेटी की आंखे दान कर दी। दुनिया से जाने के बाद भी बेटी की यादें जिंदा रखने के लिए मां बाप ने उनकी आंखें दान करने का फैसला लिया और राज्य के लोगो को भी ऐसे माँ बाप से सिख लेने की जरुरत है |

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