NEWSPR DESK-बिहार के मुखिया स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर तरह तरह के दावे करते दिखते है, स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बताने में कभी भी पीछे नहीं हटते लेकिन मुजफ्फरपुर से एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है, जहा ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य विभाग के द्वारा एक युवक के पैर टूटने पर प्लास्टर की जगह गट्टा (कार्टून) लगा दिया, सबसे बड़ी लापरवाही तो तब सामने आई जब उक्त इलाजरत युवक को एसकेएमसीएच रेफर कर दिया गया लेकिन यहां भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला, युवक इलाजरत तो था लेकिन ग्रामीण पीएचसी से रेफर के बाद भी कोई भी स्वास्थ्य कर्मी इसपर ध्यान नहीं दिया और जैसे प्लास्टर की जगह गट्टा लगा हुआ था वैसे ही छोड़ दिया लेकिन जब मीडिया के द्वारा इस कारनामे की जानकारी एसकेएमसीएच अधीक्षक को दी गई तब जाकर युवक का बेहतर इलाज शुरू हुआ.
दरअसल मामला मीनापुर क्षेत्र का है, जहा बीतें दिन एक युवक बाइक से सड़क दुर्घटना में घायल हो जाता है और उसका पैर सड़क दुर्घटना में टूट जाता है जिसके बाद ग्रामीण पीएचएस में इलाज के लिए जाता है लेकिन वहा के डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी प्लास्टर करने की जगह उसके पाऊं को गट्टा(कार्टून) से बांधकर रेफर कर देता है और फिर युवक अपने परिवार के साथ एसकेएमसीएच अस्पताल आता है लेकिन यहां भी स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल कुछ ऐसा ही निकला, दरअसल दो तीन दिन अस्पताल में रहने के बाद भी किसी भी स्वास्थ्य कर्मी और डॉक्टर की नजर उसपर नही गई, लेकिन जब मीडिया ने इस बात की जनाकारी अधीक्षक को दी तब जाकर सावस्थ्य कर्मी और डॉक्टर सक्रिय हुए फिर युवक का इलाज बेहतर ढंग से शुरू हुआ.
आपको बता दें की एसकेएमसीएच उतर बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल माना जता है जहा हर दिन तिरहुत प्रमंडल अंतर्गत कई जिलों के मरीज इलाज के लिए आते है लेकिन वहा इस तरह से अनदेखा करना कही न कही स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खरे करता दिख रहा है. लेकिन इससे भी बड़ा सवाल ये खरा होता है की ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था की कैसे स्थित है, आखिर ग्रामीण क्षेत्र के लोग कैसे इलाज करवाते होंगे आखिर यही है स्वास्थ्य विभाग की बेहतर व्यवस्था है, लेकिन कही न कही इस कारनामे को देखकर एक सवाल मन से जरूर उत्पन्न होता है की मरता क्या नही करता आखिर कैसे स्वास्थ्य व्यवस्था है ग्रामीण क्षेत्रों की..!