पटनाः मेयर सीता साहूके खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) खारिज हो गया। बताया गया जिन पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव लाया था. लेकिन वोटिंग के दौरान सिर्फ चार लोह ही प्रस्ताव के समर्थन में आगे आए. एसकेएम हाल में अविश्वास प्रस्ताव पर बैठक में पटना नगर निगम के सभी अधिकारी मौजूद थे.
बैठकों में चुुप रहने का आरोप झेलने वाली मेयर सीता साहू ने अपने राजनीतिक कौशल से विरोधियों को चित कर दिया। विरोधी खेमे में सेंध लगा बाजी जीत ली। लगातार दूसरे साल उनके खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। नगर निगम के 75 में से 41 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव दिया था। प्रस्ताव पास होने के लिए महज 38 वोट की जरूरत थी। ऐसे में लग रहा था कि मेयर की कुर्सी जानी तय है। लेकिन, आखिरी समय में विपक्षी गुट के पास महज 35 पार्षद बचे थे।
मेयर के पुत्र शिशिर कुमार, सशक्त स्थायी समिति के सदस्य इंद्रदीप कुमार चंद्रवंशी, आशीष कुमार सिन्हा व मनोज कुमार ने पूरी रणनीति पर काम किया। सहयोगी पार्षदों को एकजुट रखने के लिए तीन अलग-अलग होटलों में रखा। बैठक में देर से पहुंचने की भी रणनीति भी इसी को ध्यान में रखकर बनाई गई। इन चारों की रणनीति ने नगर निगम की राजनीति के धुरंधर माने जाने वाले पूर्व मेयर अफजल इमाम व पूर्व डिप्टी मेयर विनय कुमार पप्पू की रणनीति को धराशायी कर दिया।
इससे पहले कोरोना संक्रमण को लेकर ऐहतियात बरतते हुए बैठक का आयोजन किया गया था. लेकिन मेयर के समय पर नहीं आने से नाराज होकर विरोधी गुट के पार्षद वाकआउट कर बैठक से चले गए. पार्षदों ने आरोप लगाया कि मेयर जान बूझकर देर से पहुंचीं, क्योंकि उनके पास बहुमत नहीं है। मेयर गुट के पार्षद कैलाश यादव ने बताया कि मेयर सही समय पर पहुचीं और विरोधी गुट के पास पर्याप्त संख्या नहीं थी.