रजत कुमार
रांची/पटना। झारखंड सरकार द्वारा कैदी नं. 3351 जो बिहार और झारखंड के चारा घोटाला के सजायाफ्ता लालू प्रसाद को अघोषित राजकीय अतिथि मानकर निदेशक रिम्स, रांची का बंगला दिया गया है। जिसको लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। कहा जा रहा है कि देश में किसी कोरोना मरीज को भी इतनी सुविधा नहीं मिल रही है जितनी की लालू प्रसाद को दी गई है। यहां तक कि देश के गृह मंत्री भी कोरोना संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती हैं। जबकि लालू प्रसाद को बीमारी से बचाने के लिए जेल से निकालकर बंगले में शिफ्ट कर दिया गया। अपनी तरह का यह शायद पहला मामला है।
राजनीति से जुड़े कुछ लोगों ने कहा कि सवाल स्वाभाविक है कोरोना से संक्रमण का खतरा है। ऐसी स्थिति में झारखंड सरकार ने यह फैसला लिया लेकिन रिम्स, रांची में कैदी वार्ड में 13 कैदी इलाजरत है, तो उन्हें कोरोना के संक्रमण सेबचाव के लिए अन्य कैदियों को विशेष सुविधा क्यों नहीं प्रदान किया गया। निदेशक रिम्स के बंगला के नामपट्टिका को मिटा दिया गया, तो क्यों नहीं झारखंड सरकार निदेशक के बंगला के नामपट्टिका पर कैदी नं०- 3351, लालू प्रसाद का नाम दर्ज करवाती जिससे आम लोग यह देख सके कि भ्रष्टाचार के पुरोधा यहां वास करते है।
राजनितिक चिंता करने का मौका
उम्मीद है कि लालू प्रसाद बंगले में एकांत में रहकर चिंतनमनन करेंगे कि कैसे राजनीति में सम्पति सृजन एवं परिवारिक सत्ता को स्थापित करने के लिए कैसा-कैसा कृत्य किया। झारखंड सरकार को सलाह है कि माननीय लालू प्रसाद के परिवार का राजनैतिक संस्कार रहा है कि संपत्ति की हेराफेरी का, ऐसे में अपने माननीय विधायकों को सचेत कर दें इनके परिवार के मायाजाल में पड़ कर कहीं सम्पत्ति दान न कर दें।