NEWS PR डेस्क। आज राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस है। कहा जाता है कि भारत का दिल उसके गांवों में बसता है। देश की समृद्धि उसके गांवों से ही है। देश में तकरीबन में छह लाख से अधिक गांव हैं। जो छह हजार से अधिक ब्लॉक और 750 से अधिक जिलों में बंटे हुए हैं। भारत 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाता है। इस अवसर पर जदयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने हार्दिक शुभकामनाएं दी है।
डायन प्रथा, बाल विवाह, मानव ट्रैफिकिंग, पलायन, बंधुआ मजदूर, नशा मुक्ति, खुले में शौच से मुक्त, महाजन मुक्त, कन्या भ्रूण हत्या सहित अन्य सामाजिक कुरीतियों से लोगों को बाहर निकालने पर काम हो रहा है। सिर्फ आम और खास नहीं, बल्कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े गरीब ग्रामीण के भी हाथ में शक्ति मिली है। यह सब पंचायती राज की वजह से ही सरोकार हो सका है। गांवों की तकदीर और तस्वीर बदलने में ग्रामीणों का ही योगदान होता है, इसलिए हर ग्रामीण खुद तो वोट करें ही, दूसरों को भी वोट करने के लिए प्रेरित करें। तभी सुंदर गांव का सपना पूरा होगा, ताकि स्वच्छ और बेहतर सरकार बने। बल्कि हर हाल में मताधिकार का प्रयोग कर अपने सपने का गांव तैयार करना है. इसलिए साफ छवि वाले, ईमानदार, कर्मठ, विकास को प्राथमिकता देनेवाले प्रत्याशियों का चयन करें। प्रत्याशी बेदाग हो, लोगों के लिए हमेशा उपलब्ध हो पंचायती सरकार के माध्यम से हर गांव, कस्बा, टोला में विकास की धारा बह रही है। बात सिर्फ विकास तक ही नहीं ठहर रही, बल्कि लोगों को उनके मौलिक अधिकार मिल रहे हैं. सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का बड़ा हथियार मिला है।
पंचायती राज संस्थाओं को 14 विभागों के 29 विषयों के अधिकार मिले हैं। पंचायत प्रतिनिधियों को गांवों की छोटी-छोटी योजनाओं से लेकर सामाजिक सरोकार की बड़ी जिम्मेवारियां दी गयी हैं। गांवों की सरकार के माध्यम से छोटी-छोटी सड़कें, नालियों का निर्माण, पेयजल, सामुदायिक भवन, सड़कों पर लाइट, खेलकूद के संसाधन उपलब्ध कराने की व्यवस्था भी मिल रही है।
स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, खाद्य सुरक्षा से लेकर सामाजिक मुद्दों से जुड़े अधिकार का लाभ सीधे ग्रामीणों को मिल रहा है। वन एवं पर्यावरण, ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा, खनन, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, कृषि, भूमि विकास व लघु सिंचाई, पशुपालन, स्वास्थ्य व पोषण, शिक्षा व कौशल विकास, पर्यटन, खेलकूद,आजीविका, सामाजिक सुरक्षा, पेंशन, आवास व आधारभूत संरचना, महिला व शिशु कल्याण और सामाजिक मुद्दे से जुड़े अधिकार पंचायत प्रतिनिधियों को दिये गये हैं। गांवों के वृद्ध, विधवा, विकलांग, आदिम जनजाति समुदाय के सदस्यों को सामाजिक सुरक्षा के तहत पेंशन की सुविधा मिलती है़। गरीब एकल महिलाओं, विकलांग, बुजुर्ग को राशन कार्ड और राशन भी मुहैया कराया जाता है।