मुंगेर बिहार राज्य पथ परिवहन निगम अपने मुंगेर स्टैंड से बसों के परिचालन से प्रतिदिन एक लाख से अधिक रुपये का राजस्व भले ही बटोरता है. लेकिन यात्री सुविधा बदहाल है. बिहार का यह पहला स्टैंड होगा जहां न तो पानी और न ही शौचालय की व्यवस्था है. जबकि यात्री शेड के खतरनाक होने के कारण यात्री पेड़ के नीचे वाहनों का इंतजार करने को विवश है. इतना ही नहीं यहां पर तैनात कर्मी भी जर्जर और खतरनाक हो चुकी भवन में जान जोखिम में डालकर काम करने को मजबूर है. पूरा बस स्टैंड गोहाल बना हुआ है । यात्री पड़ाव में नशेड़ियों का जमावड़ा लगा रहता है । हाल यह हैं कि कभी भी धराशाही हो सकता है बस स्टैंड ।
मुंगेर का सरकारी बस पड़ाव बिहार का एकलौता पड़ाव होगा जहां यात्री सुविधा पूरी तरह से नदारत है. न बिजली-पानी की कोई सुविधा है और न ही शौचालय की. यात्रियों से जो भाड़ा वसूल किया जाता है. उसमें सुविधा शुल्क भी जुड़ा रहता है. लेकिन यात्रियों को सुविधा नहीं मिलती. सरकारी बस स्टैंड का भवन कई दशक पूर्व में बनाया गया था. जिसकी आयु कब का पूरा हो गया है. जिसके कारण भवन खतरनाक हो चुका है. यात्रियों के बैठने के लिए यहां यात्री शेड तो बना हुआ है. लेकिन उसकी उपयोगिता पूरी तरह से शून्य है. क्योंकि शत्री शेड पूरी तरह से जर्जर है. छत टूट कर गिर रही है. जिसके कारण वर्षों से इस यात्री शेड का उपयोग यात्री नहीं करते है. गनीमत है कि सरकारी स्टैंड में एक बरगद का पेड़ है. जिसके नीचे और छांव में बैठ कर यात्री वाहनों का इंतजार करने को मजबूर है.सरकारी बस पड़ाव में काम करने वाले कर्मचारी भी दहशत के बीच काम करने को मजबूर है. कार्यालय भवन पूरी तरह से जर्जर है. छत टूट-टूट कर गिर रही है. बावजूद कर्मी टिकट काउंटर पर बैठ कर टिकट काट रहे है ।वहां मौजूद प्रशांत कुमार, ने बताया कि भवन की स्थिति देख कर आपलोग खुद अंदजा लगाये कि किन खतरों के बीच हमलोग काम कर रहे है. बारिश के दिनों के दिनों में काफी परेशानी होती है. छत के नीचे पॉलीथीन शीट लगा दिया है. ताकि छत से टूट कर गिरने वाले मेटेरियल और बारिश के पानी से बचा जा सके. यहां बिजली नहीं है. बिना पंखा के काम कर रहे है. टेबुल-कुर्सी की व्यवस्था नहीं है. खिड़की, किबाड़ कुछ नहीं है. सुबह 4 :30 बजे से शाम के 6 बजे तक कार्यालय कासंचालन होता है. बिजली नहीं रहने के कारण अंधेरा हो जाने पर परेशानी होती है.बताया जाता है कि इस स्टैंड से कुल 21 बसे खुलती है. . जिससे माह 30 से 35 लाख के राजस्व की प्राप्ति होती है.
बाइट – प्रशांत समय पाल ( ब्लू शर्ट पहने हुए)
Vo 2- जर्जर और खतरनाक शेड का इस्तेमाल नशेड़ी करते है. दिन-रात यहां नशा सेवन करने वालों और नशे में धुत होकर लोग समय गुजारते है. इतना ही नहीं रात में यहां असमाजिक तत्वों का जमावड़ा लगता है. जबकि दिन भर मवेशी इस यात्री शेड में रहता है. अगर यात्री शेड गिरी तो कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.सरकारी बस पड़ाव में गंदगी और उससे उठने वाली बदबू परेशान कर रही है. सप्ताह में एक दिन भी परिसर में सफाई हो जाये तो गनीमत है. जिसके कारण यात्री शेड के समीप गंदगी भरा रहता है. बारिश का पानी वहां जमा होता है. जिसके कारण गंदगी से बदबू आती है. यात्रियों ने बताया की सरकारी बस पड़ाव में यात्रियों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. सबसे अधिक परेशानी महिला यात्रियों की होती है. क्योंकि शौच की जरूरत होने पर महिला यात्री परेशान हो जाती है. कम से कम पानी और शौचालय की यहां व्यवस्था रहनी चाहिए थी.बस पड़ाव में कम से कम मूलभूत सुविधा पानी, शौचालय की व्यवस्था रहनी चाहिए थी. कभी-कभी किसी यात्री को घंटों बस का इंतजार करना पड़ता है. ऐसी स्थिति में अगर जरूरत महसूस हुई तो हम महिला यात्री किधर जायेंगे. उस समय मजबूर होना पड़ता है.भाड़ा देते है तो सुविधा भी मिलनी चाहिए. आप लोग ही देख लिजिए किस तरह पेड़ के नीचे बैठ कर बस का इंतजार कर रही है. बारिश होगी तो कहां जायेंगे यात्री. गंदगी का आलम तो आप लोग देख ही रहे है. प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए।