वादे तो बहुत किए, लेकिन निभाना भूल गए, करगिल शहीद जवान के गांव में नहीं पहुंचा विकास का रास्ता

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By PR Desk

ऋषिकेश

नालंदाः जिला के एकंगरसराय प्रखंड के कुकुरवर गांव आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है। इस गांव के हरदेव प्रसाद सिंह पाकिस्तान सेना से लोहा लेते हुए कारगिल में शहीद हो गए थे । 12 जून 1999 को वे कारगिल में पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब देते देते शहीद हो गए। इसके बाद 14 जून 1999 को उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव कुकुरबर आया जहां तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस भी कुकुरबर गांव पहुंचे और शहीद सैनिकों के परिजनों को सांत्वना देने के बाद गांव के चहुमुखी विकास की घोषणा की गई।  उस दौरान शहीद की पत्नी को स्वास्थ्य विभाग में एक सरकारी नौकरी एवं 10 लाख का मुआवजा दिया गया। कुकरबर गांव को आदर्श गांव, शहीद के नाम पर सामुदायिक भवन, स्कूल बनाने की घोषणा की गई थी लेकिन घटना के 21 साल बाद भी यह गांव आज विकास की रोशनी से कोसों दूर है।

दो दशक से इंतजार

गांव में शहीद हरदेव की प्रतिमा लगाने की बात कही गई थी लेकिन एक अदद प्रतिमा की मोहताज है कुकुरवर गांव। शहीद हरदेव प्रसाद के भाई विनोद प्रसाद ने बताया कि उस समय सरकार के द्वारा घोषणा किया गया था कि गांव में एक  हरदेव के प्रसाद के नाम से एक भवन का निर्माण कराया जाएगा। पक्की सड़क से जोड़ा जाएगा। सामुदायिक भवन का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा विद्यालय सहित अन्य मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने की बात कही गई थी लेकिन आज 21 साल के बाद भी सभी घोषणाएं हवा-हवाई साबित हुई। इतना ही नहीं  ब्रिगेडियर के द्वारा घोषणा किया जाए गया था कि शहीद के भाई को भी सरकारी नौकरी दी जाएगी लेकिन वह वादा भी पूरा नहीं हो सका।

आज भी युवाओं को देश सेवा के लिए प्रेरित करते हैं शहीद हरदेव

 हालांकि शहीद हरदेव के गांव में आज भी लोगों में देश प्रेम के जज्बा कायम है। गांव के युवाओं में भारत की रक्षा के लिए सेना में जाने के लिए तैयार है । युवा वर्ग के लोगों का कहना है कि शहीद हरदेव के कारण आज कुकुरबर गांव किसी पहचान की मोहताज नहीं है। हरदेव की मौत के बाद गांव के ही कुछ युवा सेना में शामिल हुए और भी युवा ऐसे हैं जो कि सेना में शामिल होने के लिए तैयारी कर रहे हैं। मालूम हो कि हरदेव प्रसाद भारतीय सेना में शामिल होने के बाद भूटान, सोमालिया में अपनी सेवा देने का काम किया।

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