विभिन्न गांवों में ऋण वसूली के लिए दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक क्षेत्रीय कार्यालय ने चलाया वसूली अभियान।

Patna Desk

 

गुरुवार को दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक क्षेत्रीय कार्यालय भभुआ अंतर्गत जिला कैमूर के बहुआरा शाखा अंतर्गत केसीसी ऋण, अन्य बकाया ऋण संबंधित हठी बकायेदारों के घर पर चांद थाना एवं बैंक के शाखा प्रबंधक अरुण कुमार बैंक के नीलाम पत्र अधिकारी नरेंद्र कुमार एवं शाखा छांव के शाखा प्रबंधक चितरंजन द्वारा संयुक्त रूप से चांद प्रखंड के ग्राम बैरी,परसिया, बहुआर, केसरी, बरारी, छोटका अमाव,आदि विभिन्न गांवों में वसूली अभियान चलाया गया। इस दौरान हठी बकायेदारों पर पुलिस बल एवम बैंक अधिकारियों द्वारा बकाया ऋण चुकाने हेतु दबिश बनाया गया। जिसमे मोहन सिंह पिता छवि नाथ सिंह, ग्राम केसडी, अंगद सिंह पिता सत्यनारायण सिंह ग्राम छोटका अमांव, त्रिभुवन खरवार पिता स्व बालचंद खरवार, राधा सिंह पिता चंद्रिका सिंह ,ग्राम परसिया ,भारत सिंह पिता राम केशवर सिंह ग्राम छोटका अमांव आदि के घर पर पुलिसबल द्वारा सघन छापेमारी की गयी। इसमें दो बकायेदारों ने कुल 56000 रू की बकाया राशि जमा भी किया गया।

– बहुआरा शाखाा ने ने 150 ऋणियों पर दायर किया है सर्टिफिकेट केस

बताते चले कि बहुआरा शाखा से 150 ऋणियों पर बैंक द्वारा जिला नीलाम पत्र कार्यालय के तत्वाधान में सर्टिफिकेट केस दायर किया गया है। जिसमे 80 हठी केसीसी ऋणियों पर बॉडी वारंट जारी हो चुका है एवम किसी भी वक्त इन बकायेदारों की गिरफ्तारी संभव है ।इसमें से 20 बकायेदारों ने बैंक का बकाया राशि जमा कर दी है। क्षेत्रीय अधिकारी विकास कुमार भगत द्वारा बताया गया कि बकाया केसीसी ऋण धारकों को बारम्बार बैंक नोटिस देने के उपरान्त भी ऋण अदायगी हेतु उदासीन रवैया अपनाया जाता रहा है एवं बैंक नियमानुसार समझौता के लिए भी इनकार किया गया है। अंततः बैंक को मजबूरन इन सभी हठी बकायेदारों के खिलाफ सर्टिफिकेट केस किया गया है एवं नीलाम पत्र कार्यालय से गिरफ्तारी वारंट जारी करवाते हुए इनकी गिरफ्तारी जल्द ही की जाएगी।

उन्होंने आगे बताया गया की बैंक से ऋण लेकर चुकता नहीं करने वाले कैमूर जिला के विभिन्न प्रखंडों के 500 से अधिक केसीसी ऋण बकायेदारों के खिलाफ दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक एवं जिला प्रशासन द्वारा कानूनी कारवाई के लिए तैयारी की जा चुकी है। आगे उन्होंने सभी ऋण बकायेदारो को संदेश देते हुए बताया कि जो बकायेदार प्रशासन की कठोर कानुनी कारवाई से बचना चाहते हैं वे जल्द बैंक नियमानुसार ओटीएस के तहत समझौता कराकर ऋण से मुक्ति पाकर समाज में एक सम्मानित जीवन जियें।

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