विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला पर दिख रहा है मलमास का असर, मुंगेर में असरगंज स्थित कच्ची कांवरिया पथ पर छाई बिरानी तो वही लाखो रुपए जमीन का किराया देकर दुकान खोले दुकानदारों के लगे है हाथ पांव फूलने उन्हें कमाई की तो दूर जमीन का किराया कहां से चुकाएंगे सता रही है यह चिंता। जिससे कि सभी दुकानदार है परेशान। वही इक्का-दुक्का चल रे कांवरियों ने कहा मलमास है. लेकिन, सावन का महीना है. इससे ज्यादा शुभ और क्या होगा।
दरअसल मलमास का असर श्रावणी मेला पर भी दिख रहा है. 17 जुलाई से मलमास लग जाने के कारण सुलतानगंज उत्तरवाहिनी गंगा से बैधनाथ धाम जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में काफी कमी देखी जा रही है. जो कांवड़िया पथ 24 घण्टे केसरियामय रहता था. बोलबम के जयकारे से गुंजायमान रहता था, वह सुनसान है। इक्के दुक्के कांवड़िया ही नजर आ रहे हैं. वही बिहार के अधिकांश लोग इसे अशुभ तो यूपी बंगाल समेत अन्य राज्यों के लोग इसे शुभ मास मानते है। कारण यही है कि कांवड़ियो की संख्या में कमी देखी जा रही है. वही राजस्थान से पहुंचे कांवरिया दिनेश शर्मा व सतेंद्र मिश्रा ने बताया कि मलमास है. लेकिन, सावन का महीना है. इससे ज्यादा शुभ और क्या होगा और मन्दिर का पट भी खुला है. हमलोग मलमास में भी बाबा भोलेनाथ को जल चढ़ाएंगे।
तो वहीं दूसरी तरफ अचानक श्रावणी मेला में वीरानी छा जाने से लाखों रुपए जमीन का किराया देकर होटल और दुकान खोलने वाले दुकानदारों के अब हाथ पैर फूलने लगे हैं। उन्हें अब कमाई की दूर जमीन का किराया कहां से चुकाएंगे या चिंता सता रही है। जिससे सभी दुकानदार परेशान हैं महानजनों के यहां से सामान लाकर रख दिया गया है बिक्री पर ब्रेक लग गया है। दुकानदार दुकानों एवं होटलों में कांवरिया के इंतजार में मक्खियां उड़ा रहे है। वही दुकानदार पुतुल शर्मा, महादेव कुमार मंडल एवं मंगल सिंह मंगल ने बताया कि कांवरिया पथ में मलमास को लेकर कांवरियों की काफी कमी देखी जा रही है। इस कारण पथ के दुकानों में बिक्री बहुत कम हो रही है कुछ किसान खेत छोड़कर होटल कर रहे हैं। सोचे धान की खेती छोड़कर होटल से कमाई कर खेती कर लेंगे दुविधा हो गई है की ना खेती कर पा रहे हैं ना ही होटल से कमाई ही हो रही है। वही कांवड़ियों की संख्या में कमी होने से उनके मुख पर चिंता की लकीरें दिख रही है ना वह होटल छोड़ पा रहे हैं और ना वे खेती ही कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मलमास के कारण अभी तक सभी प्रकार की बिक्री नाम मात्र की हो रही है। दो से तीन लाख की लागत से होटल खोले हैं। श्रावणी मेला को लेकर होटल में एक हलवाई सहित 6 स्टाफ रखे थे लेकिन कांवड़ियों की कम संख्या को देखते हुए 4 स्टाफ को घर भेज दिए है। अभी छिटपुट कांवरिया चल रहा है। जिस कारण बिक्री कम हो गई है। होटल खोलने में जमीन मालिक को 16 हजार तो टेंट व खाद्य सामग्री में दो लाख की लागत लगा चुके है। जो अब वापस होना प्रतीत नहीं हो रहा है। उम्मीद है कि सावन के अंतिम 15 दिन जो 16 अगस्त से शुरू होगा संभवत उस समय कुछ बिक्री बडे़। वही बताते चलें की मलमास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक चलने वाला है।