श्रवणश्रुति प्रोजेक्ट के तहत जिला में कम सुनने तथा बहरेपन के शिकार बच्चों की आवश्यक जांच तथा ईलाज की सुविधा प्रदान की जा रही है. इस परियोजना का जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन एसएम द्वारा सीधा अनुश्रवण किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के माध्यम से सुनने की क्षमता से प्रभावित या बहरेपन के शिकार बच्चों के ईलाज की सुविधा प्रदान होने के कारण मातापिता के लिए एक आशा की किरण बन गया है.
इस क्रम में शेरघाटी अनुमंडलीय अस्पताल में श्रवणश्रुति शिविर का आयोजन किया गया. इस शिविर में अनुमंडल के नौ प्रखंडों के 44 बच्चों के कानों की जांच की गयी. इस जांच में 22 ऐसे बच्चे मिले जो बिल्कूल भी नहीं सुन पाते हैं. ये बच्चे पूरी तरह से हियरिंग लॉस के शिकार है. इनमें नौ बच्चे ऐसे हैं जो पांच साल से कम उम्र के हैं जबकि तेरह बच्चे ऐसे हैं जो पांच साल से अधिक उम्र के हैं.
जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम प्रबंधक नीलेश कुमार ने बताया कि इन बच्चों की आगे जांच कर कानपुर ईलाज के लिए भेजा जायेगा. उन्होंने बताया कि श्रवण बाधित बच्चों की जांच के लिए कानपुर से डॉ एसएन मल्होत्रा फाउंडेशन द्वारा टीम भेजी गयी जिसके टेक्निशियनों तथा जिला के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के चिकित्सकों के सहयोग से इन बच्चों की जांच की गयी. बताया कि बच्चों को डिसिट्रक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर भेजा जाता है जहां बच्चों के आवश्यक जांच कर उन्हें रेफर किया जाता है.
कॉकलियर इंप्लांट के लिए सरकार वहन करती हैं खर्च:
जिला कार्यक्रम प्रबंधक ने बताया कि कमजोर श्रवण शक्ति वाले बच्चों को चिन्हित कर उनकी सूची तैयार की जाती है. इसके बाद उनका चरणबद्ध तरीके से इलाज किया जाता है. आवश्यकता पड़ने पर बच्चों को कॉकलियर इंप्लांट किया जाता है. कॉकलियर इंप्लांट के लिए सर्जरी संबंधित सभी आवश्यक खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है. इसके बाद समय समय पर उन बच्चों के घर जाकर परिजनों से मुलाकात तथा बच्चों की प्रतिक्रिया तथा व्यवहार के बारे में जानकारी ली जाती है.
शिविर के दौरान अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ राजेंद्र सहित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक डॉ उदय मिश्रा, डॉ संजय तथा डॉ ममता तथा फाउंडेशन के टेक्निशियन आशुतोष व अन्य मौजूद रहे.