सतत् जीविकोपार्जन योजना के माध्यम से संगीता देवी को उम्मीद की एक नई राह दी दिखाई।

Patna Desk

 

 

गया, 10 जनवरी 2023, गया के इमामगंज प्रखंड के भवनडीह पंचायत के पसेवा गांव की संगीता देवी शारीरिक रूप से अक्षम होने के बाद भी अपने हौसले किसी से कम नहीं हैं। अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। इनके परिवार में छह लोगों हैं। वर्तमान में अपने घर पर श्रृंगार दुकान चला रही है। ग्राम संगठन के माध्यम से सतत् जीविकोपार्जन योजना के माध्यम से संगीता देवी को श्रृंगार का सामान दिलाकर दुकान खुलवाया गया है। संगीता देवी का चयन देशी शराब की बिक्री से जुड़े परिवार के रूप में किया गया है। योजना से प्राप्त पूंजी में क्रमिक वृद्धि करते हुए संगीता देवी निर्धनता से आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ी हैं। इन्हें सरकारी योजना जैसे- जन वितरण प्रणाली, सुरिक्षत आवास, स्वच्छ पेय जल, घर में शौचालय का उपयोग, आदि का लाभ भी हुआ है। इसी प्रकार कई बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए इन्हें मिशन स्वावलंबन के तहत प्रमाण पत्र दिया गया है।

यह दीदी बताती है उनके पति अशोक पासवान मानसिक रूप से कमजोर है, जिसकी वजह से वह कोई काम नहीं कर पते। उन्हें ही परिवार का ध्यान रखना होता है। पहले दीदी के परिवार का भरण पोषण उनके ससुर के द्वारा मजदूरी कर किया जाता था। मजदूरी करने के दौरान ससुर दुर्घटनाग्रस्त हो गए। उनके कमर में भरी चोट लग गई जिसके कारण उनकी मजदूरी छूट गई। इस कारण परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई। अब परिवार की पूरी जिम्मेदारी संगीता दीदी के ऊपर आ गई। जिसके कारण मजबूरन दीदी शराब बेचने का कार्य करना पड़ा। राज्य सरकार द्वारा शराब बंदी घोषित होने के बाद दीदी के परिवार की माली स्थिति बहुत बिगड़ गई। कमाने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। सतत् जीविकोपार्जन योजना* के माध्यम से संगीता देवी को उम्मीद की एक नई राह दिखाई दी।

संगीता देवी को ज्योति जीविका महिला ग्राम संगठन के माध्यम योजना के साथ जोड़ा गया। उन्हें श्रृंगार दुकान खोलने के लिए ग्राम संगठन के माध्यम से 20000 रुपए मूल्य का सामान दिया गया। साथ ही योजना के माध्यम से सात माह तक 1000 रुपए प्रति माह की दर से जीविकोपार्जन अंतराल राशि सीधे बैंक खाते में भेजी गई। परिवार को दैनिक खर्च के अलग से मासिक 1000 रुपए मिले। इससे दुकान की पूँजी बढ़ाने में मदद मिली। बाद में इन्हें दुकान के संरचना निर्माण हेतु 10,000 रुपए की विशेष निवेश राशि भी दी गई है। आज इस श्रृंगार दुकान के बदौलत संगीता दीदी अपने परिवार का भरण पोषण कर रही है। दीदी को नियमित तौर पर मास्टर संसाधन सेवी (एमआरपी) के द्वारा मार्गदर्शन सह सहयोग प्रदान कराया गया। आज दीदी ने अपने मूल श्रृंगार दुकान के साथ एक गुमटी बनवाकर किराना का कुछ सामान भी रखने लगी है।

संगीता देवी अपने घर पर श्रृंगार का सामान बेचती है और उनके ससुर किराना दुकान (गुमटी) चलने में दीदी को मदद करते हैं। वर्तमान में दुकान से दीदी 5000 से 6000 रुपया मासिक की आमदनी कर रही है। संगीता देवी कुछ आमदनी बचाकर एक सिलाई मशीन भी खरीदी लिया है, जिससे बचे हुए समय में कपड़ा सिलाई कर भी कुछ आमदनी हो जाती है। साथ ही इन्होनें बत्तख पालन भी आरंभ कर दिया है। अपने आत्मविश्वास और मेहनत की बदौलत दिव्यांग होते हुए अपने परिवार का भरण पोषण कर रही है। दीदी अपने दोनों बच्चो को अच्छी तरह से शिक्षा देना चाहती है, ताकि वे जीवन में कुछ अच्छा करें। दुकान मिलने से संगीता देवी खुश है। वह कहती है जीविका में जुड़ने के बाद ही जीवन बदला। वह जीविका सभी का धन्यवाद् करती हैं।

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