NEWSPR डेस्क। औरंगाबाद के सदर अस्पताल को मॉडल अस्पताल का दर्जा मिले लगभग 7 वर्ष हो चुके हैं लेकिन सदर अस्पताल में जीवित या मृत हुए लोगों के परिजनों को जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही है। जिसको लेकर परिजन परेशान और बेहाल है। प्रियव्रत पथ स्थित आईएमए हॉल के पीछे मॉडल पोस्टमार्टम हाउस का निर्माण लगभग 10 वर्ष पूर्व यह सोच कर किया गया था कि सड़क हादसे में मृत हुए लोगों के पोस्टमार्टम कराने आए परिजनों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े।
उस वक्त पोस्टमार्टम हाउस की व्यवस्था काफी अच्छी थी। जहां शव को लेकर पहुंचे परिजन कुछ पल बैठ कर अपनी तकलीफ और दुख दर्द शुभचिंतकों से बांटा करते थे। उस वक्त पोस्टमार्टम हाउस में विधिवत बिजली एवं पानी की भी व्यवस्था थी। परंतु धीरे-धीरे विभागीय उदासीनता का दंश यह पोस्टमार्टम हाउस झेलने को मजबूर हो गया।अभी स्थिति यह है कि इसका भवन काफी जर्जर हो चुका हैं और बिजली नदारद हो गई है। पानी के लिए सड़क के किनारे का सरकारी चापाकल ही सहारा है और वह भी हमेशा खराब ही रहता है।ऐसी स्थिति में लोग खरीदे हुए पानी से अपना प्यास बुझाने को मजबूर है।
पोस्टमार्टम हाउस के बाहर गंदगी का अंबार है। इसकी साफ-सफाई के लिए ना तो अस्पताल प्रशासन दिलचस्पी दिखा रहा है और ना ही कहने के बाद नगर परिषद। यह कहा जा सकता है कि पोस्टमार्टम हाउस अपनी अंतिम सांस गिनने को मजबूर हैं। पोस्टमार्टम कराने आए लोगों को यहां से अलग हटकर आसपास के दुकानों में या सड़क पर खड़ा होना पड़ता है। क्योंकि गंदगी इतनी है कि बैठना मुश्किल हो जाता है। इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता एवं राजनीति से जुड़े हुए लोगों ने जिला प्रशासन का भी ध्यान आकृष्ट कराया है। लेकिन उनके द्वारा किए गए प्रयास भी नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित हो रही हैं।
हालांकि जब सिविल सर्जन डॉ कुमार वीरेंद्र प्रताप पोस्टमार्टम हाउस के बदहाली की बात की गई तो उन्होंने इसके लिए सदर अस्पताल के उपाधीक्षक को जिम्मेवारी सौंपकर व्यवस्था को सुधारने की बात कही है। अब देखना लाजिमी होगा कि अपने परिजनों के मौत के बाद जलालत की जिंदगी जी रहे लोगों को एक बेहतर पोस्टमार्टम हाउस की सुविधा कब प्राप्त होगी जो भविष्य के गर्त में है।
औरंगाबाद से रूपेश की रिपोर्ट