सरकार चुनाव में है मस्त, किसान बाढ़ से पस्त…

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बिहार के मोतिहारी जिले के किसान पहले कोरोना के कारण समय पर खेती नहीं कर पाये, बाकी बच्चे वो बाढ़ ने पूरा कर कमर तोड़ दिया किसनों कि. थोड़ा बहुत बचा था धान उसको बारिश और तेज हवा ने पूरा कर कर खतम कर दिया।

किसान अपने खेत के मेंंड के पास बैठकर कभी अपने बरबाद फसल को देखता है और अपने भाग्य को कोसता है. हवा के झोका मे जो धान का पौधा बचा हुआ था गिरने से उसमें लगी बाली निशा रोग ग्रसित हो गया पूरा धान काले काले होगें.

बता दें कि छोटे छोटे किसान जब फसल लगाने के समय होता है तो कर्ज लेकर खेती की बोयाई करते है इस उम्मीद पर कि जब फसल होगा तो कर्ज को सधाकर अपना भी गूजर हो जायेगा, परन्तु प्राकृतिक को इनके हाल पर थोडा भी तरस नहीं आया और प्राकृतिक ने सब तरफ से अपनी लीला इन किसानों के खेत और फसल पर ही दिखा दिया.

अब तो किसानों को एक ही उम्मीद रह गई सरकार से कि फसल झति के तहत उनको राशि देगी तो अगला फसल के लिए खेती कर सकते है परन्तु अभी तक सरकार की ओर से किसनों को कोई भी फसल झति मुआवजा राशि नहीं मिला है. किसान मायूस नजर आ रहे है.

इधर चुनावी मौहल बिहार में शुरू हो गई है और नेता पर नेता दौरा पर दौरा कर रहे है और किसानो को अश्वासन पर आश्वासन दे रहे है, परन्तु किसानों का कहना है कि अश्वासन से ना खेती हो पायेगी ना ही पेट की भूख ही मिटेगी। आप खुद देख सकते है किसानों की खेती कैसे प्राकृतिक ने तहनहस कर दिया है।

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