सात साल पहले गंगा की बाढ़ में टूट गई थी सड़क, दोबारा निर्माण के लिए आज भी गांव के लोगों को इंतजार

Sanjeev Shrivastava

बबलू उपाध्याय

बक्सरः जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी की दूरी पर गंगा दियारा इलाके का गाँव मंझरिया। करीब 13 हजार की आबादी वाला यह गाँव मे सभी जाति समुदाय के लोगो का सम्पन्नता हैं। पूरी तरह कृषि आधारित इस गांव के लोगो मे मुख्य सड़क से गाँव के सम्पर्क सड़क का टूटा होना एक बड़ा मलाल हैं। कोई भी अगर बाहर से गाँव के लोगो का दुख दर्द सुनने जाता हैं तो गाँव के लोग सबसे पहले जिस सड़क से आये उसके हुए परेशानी सुन कर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं।

बताते चले कि वर्ष 2013 के भीषण गंगा के बाढ़ से टूटा गांव के मुख्य सम्पर्क पथ को ले कर लगातार सांसद और विधायक द्वारा ग्रामीणों को छला गया हैं।गंगा में लगातार बढ़ते जलस्तर और बाढ़ की आशंका को देखते हुए एक बार फिर दियारा इलाके के लोगों को डराना शुरू कर दिया है। दरअसल जब जब बाढ़ की स्थिति आती है खासकर गंगा के तटवर्ती इलाके इसके निशाने पर होते हैं और वहां भारी तबाही होती है। जिला मुख्यालय से सटे सदर प्रखंड के मझरिया गांव के लोग आज भी 2013 के बाढ़ की विभीषिका को याद कर दहल उठते हैं। साथ ही साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों के प्रति अपनी नाराजगी भी जाहिर करते हैं।

सांसद-विधायक से नाराज ग्रामीण

मामला 2013 का है जब प्रलयंकारी बाढ़ ने जमकर तबाही मचाई थी। 2013 के बाढ़ में मझरिया गांव का मुख्य संपर्क पथ पूरी तरह से तबाह हो गया। तब से लेकर आज तक इस संपर्क पथ का न तो कायाकल्प हो सका और ना ही इस ओर किसी ने अब तक ध्यान दिया। 2013 के बाद लोकसभा और विधानसभा के भी चुनाव हुए। सड़क की मरम्मत की करण को लेकर ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों से एक बार नहीं बल्कि लगातार कई बार गुहार भी लगाया लेकिन आज तक किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया।

इधर एक बार फिर बिहार विधानसभा चुनाव को नजदीक देख स्थानीय बीजेपी के नेताओं द्वारा ग्रामीणों को समस्याओं को दूर करने का आश्वासन दिया जा रहा है। बहरहाल यह तो समझ में आता है की वोट की राजनीति के लिए नेता किसी भी तरह का कोई भी आश्वासन देने से नहीं चूकते, लेकिन मतलब निकल जाने के बाद नेता जनता की समस्याओं पर कितना ध्यान देते हैं यह मझरिया गांव के ग्रामीणों का दर्द बताने के लिए काफी है।

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