जेल परिसर स्थित 159 वीं सीआरपीएफ मुख्यालय में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों द्वारा रविवार को शौर्य दिवस के रूप में मनाया गया। इस दौरान सीआरपीएफ के अधिकारी व जवानों ने 9 अप्रैल 1965 की शौर्य गाथा को याद किया। इस दौरान बटालियन के कमांडेंट कुमार मयंक ने बताया कि शौर्य दिवस का सिलसिला अप्रैल 1965 में पाकिस्तानी सीमा से लगे हुए भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए पाकिस्तान सेना ने डिजर्ट हॉक ऑपरेशन चलाया था। पाकिस्तान सीमा से लगे गुजरात के कच्छ क्षेत्र में सरदार एवं टॉक पोस्टों पर केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की द्वितीय वाहिनी के 4 कम्पनियां तैनात थी। उन्होंने बताया कि 9 अप्रैल 1965 को सुबह 3.30 बजे पाकिस्तान की एक पूरी इन्फेन्ट्री ब्रिगेड ने सरदार व टॉक चौकियों पर हमला कर दिया था। 12 घंटे में पाकिस्तानी सेना को खदेड़ा सीआरपीएफ के जवानों ने विशाल ब्रिगेड की सेना का डट कर मुकाबला कर उसे भारत की सीमा में घुसने नहीं दिया। यह लड़ाई 12 घंटे तक चली इसमें सीआरपीएफ के जवानों ने पाकिस्तानी सेना के 34 जवानों को मार गिराया व 4 को जिंदा गिरफ्तार किया। इस युद्ध में सीआरपीएफ के 8 जवानों ने निडरता से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी और 19 जवानों को पाकिस्तानी सेना ने गिरफ्तार किया था। यह दुनिया के इतिहास में हुए अनेक युद्धों में से एक ऐसा युद्ध था। इसमें अर्द्धसैनिक बल की एक छोटी सी टुकड़ी ने दुश्मन की विशाल ब्रिगेड को घुटने टेक वापस लौटने पर मजबूर कर दिया। सीआरपीएफ के जवानों द्वारा दिखाई गई इस बहादुरी को हमेशा याद करने के लिए 9 अप्रैल का दिन शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस मौके पर सीआरपीएफ कमांडेंट कुमार मयंक , द्वितीय कमान अधिकारी मुकेश कुमार गुप्ता,द्वितीय कमान अधिकारी लोकेश गौतम,डिप्टी कमांडेंट अंबर घोष, डिप्टी कमांडेंट उत्तम कुमार सहित अधिकारी व जवान मौजूद थे।