NEWSPR डेस्क। बंगाल सीमा से सटे कटिहार जिला “सीमांचल टू बंगाल” के लिए गौ-तस्करों का शेफ कॉरिडोर बना हुआ है। इस कॉरिडोर के माध्यम से पशु तस्कर बॉर्डर से सटे हुए थानों को मैनेज करते हुए तस्करी का यह खेल पिछले कई महीनों से चला रहा है। कटिहार से कत्लखाने तक गायों को पहुंचाने के लिए रात के अंधेरे में ट्रकों में लादकर मवेशियों को बिहार के सीमा पार मालदा जिला के कुमेदपुर बंगाल तक पहुंचा दिया जाता है।
पशु तस्करों की मानें तो बंगाल के कत्लखाने में इन पशुओं को कत्ल कर देश के अलग-अलग हिस्सों के साथ पड़ोसी देश बांग्लादेश तक भेजा जाता है। इस बड़े रैकेट का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि हर एक रात को हर एक गाड़ी पर लगभग पांच हज़ार के नजराना पशुओं से लदे गाड़ियों को बिहार सीमा पार कर बंगाल सीमा तक पहुंचाने के लिए पुलिस को दिया जाता है।
कैमरे पर ही इन बातों को कबूलते हुए पशु तस्करों ने कहा कि उनके आका बंगाल में बैठकर ही यह सब मैनेज करते हैं और लगभग इसी इलाके से हर रात पशु से लदे बीस गाड़ी पार होता है। यानी हर गाड़ी में अगर पुलिस को प्रति गाड़ी पांच हज़ार नजराना वसूलते हैं तो लगभग एक लाख रुपये का काला खेल पशु तस्कर हर रात खेलते हैं।
दुःखद बात यह है कि कटिहार बिहार के उप-मुख्यमंत्री सह पशुपालन मंत्री तार किशोर प्रसाद के गृह जिला है लेकिन फिर भी पुलिस अपनी मोटी रकम कमाई के लिए तस्करी के इस खेल को धड़ल्ले से जारी रहने देता है। स्थानीय लोग भी पुलिस और तस्करों के गठजोड़ से ये खेल जारी रहने की चर्चा कर रहे हैं। कटिहार पुलिस ने कदवा थाना क्षेत्र के सागरथ के पास इस मामले में 2 लोगों के गिरफ्तारी के साथ साथ मवेशी लगे हुए ट्रक भी जप्त होने की बात कह रहे हैं, मगर इस गिरफ्तारी के और मवेशी लगे हुए ट्रक पकड़े जाने के बावजूद एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि कहीं कटिहार पुलिस मामले को ठंडे बस्ते में डालने के लिए छोटी पयादो को पकड़कर बड़ी मछलियों को तो नहीं बता रहा है।
कटिहार से सुमन शर्मा की रिपोर्ट