नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के अवमानना मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण पर एक रुपए का जुर्माना लगाया गया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जुर्माना जमा नहीं करने पर तीन माह की जेल की सजा भुगतनी होगी या तीन साल के लिए वकालत से निलंबित भी किया जा सकता है।
क्या है पूरा मामला
उच्चतम न्यायालय ने 14 अगस्त को भूषण को न्यायापालिका के खिलाफ उनके दो अपमानजनक ट्वीट के लिए उन्हें आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था।अदालत ने 14 अगस्त को चीफ जस्टिस और पूर्व चीफ जस्टिस के खिलाफ आपत्तिजनक टि्वट के मामले में प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रशांत भूषण ने पूरे सुप्रीम कोर्ट के कार्यप्रणाली पर अटैक किया है और अगर इस तरह के अटैक को सख्त तरीके से डील नहीं किया जाता है तो इससे राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और ख्याति प्रभावित होगा। जिसमें कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अवमानना मामले में माफी मांगने के लिए कहा था। जिस पर 63 वर्षीय प्रशांत भूषण ने यह कहते हुए पीछे हटने या माफी मांगने से इनकार कर दिया कि यह उनकी अंतरात्मा और न्यायालय की अवमानना होगी। जिसके बाद 25 अगस्त को जस्टिस अरुण मिश्रा, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी ने प्रशांत माफी मांगने से इनकार करने के बाद उनकी सजा पर आदेश सुरक्षित रख लिया था।
किसकी हुई अवमानना?
प्रशांत भूषण की गिनती देश के बड़े वकीलों में की जाती है। उनके एक हियरिंग में शामिल होने के लिए लाखो-करो़ड़ों रुपए फीस होती है। ऐसे वकील पर सिर्फ एक रुपए का जुर्माना लगाना पैसों के नजरिए से बेहद कम है, लेकिन इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट ने यह बताया है कि न्यायालय के आगे प्रशांत भूषण का कद क्या है। अब सवाल यह है कि प्रशांत भूषण का माफी नहीं मांगना सही फैसला था या उन पर लगाया गया एक रुपया का जुर्माना देना।